New Banking Nomination Rules: देशभर के बैंक ग्राहकों के लिए एक राहतभरी खबर है. अगर आपने बैंक खाते या लॉकर के लिए किसी को नॉमिनी बनाया है, तो अब आपके पास इसके और भी लचीले विकल्प होंगे.
1 नवंबर 2025 से लागू होने वाले नए नियमों के तहत अब आप एक नहीं बल्कि चार तक लोगों को नॉमिनी बना सकते हैं. ये बदलाव न केवल बैंक खातों पर बल्कि लॉकर और सेफ कस्टडी में रखी वस्तुओं पर भी लागू होंगे.
वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित Banking Laws (Amendment) Act, 2025 के तहत नामांकन से संबंधित नए प्रावधान लागू किए जा रहे हैं. इन प्रावधानों में ग्राहक को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वह या तो सभी चार नॉमिनियों को एक साथ (Simultaneous Nomination) चुने या फिर क्रमवार (Successive Nomination) तरीके से.
समानांतर नामांकन में सभी नॉमिनी एक साथ हकदार होंगे, जबकि क्रमवार नामांकन में पहले नॉमिनी के निधन के बाद अगला नॉमिनी अधिकार प्राप्त करेगा. हालांकि, सेफ कस्टडी और लॉकर में रखी वस्तुओं के लिए केवल क्रमवार नामांकन की अनुमति दी गई है.
नए नियमों के तहत ग्राहक अपने नॉमिनियों के बीच हिस्सेदारी भी तय कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, यदि किसी ग्राहक ने दो नॉमिनी बनाए हैं, तो वह यह भी लिख सकता है कि पहले नॉमिनी को 60% और दूसरे को 40% हिस्सा मिले. बस इतना ध्यान रखना होगा कि सभी नॉमिनियों की हिस्सेदारी मिलकर 100% हो. इससे भविष्य में किसी तरह के विवाद की संभावना कम हो जाएगी.
सरकार का कहना है कि इससे बैंक खातों और लॉकर से जुड़ी क्लेम प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी बनेगी और परिवारों को पैसे या संपत्ति के दावे में अनावश्यक दिक्कत नहीं होगी.
नए प्रावधानों से यह सुनिश्चित किया गया है कि जमा खातों, लॉकरों और सेफ कस्टडी में रखे सामान का दावा नॉमिनी आसानी से कर सके. अब तक कई बार बैंक ग्राहकों के निधन के बाद उनके परिवार को जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था. नए नियम इस समस्या को दूर करेंगे.
इस बदलाव के लिए बैंकिंग कंपनियों के लिए Banking Companies (Nomination) Rules, 2025 भी तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें नामांकन जोड़ने, बदलने या रद्द करने की पूरी प्रक्रिया और फार्म स्पष्ट रूप से बताए जाएंगे.
नामांकन सुविधा से आगे बढ़कर यह कानून बैंकिंग सेक्टर की गवर्नेंस को और मजबूत करेगा. Banking Laws (Amendment) Act, 2025 का उद्देश्य बैंकिंग संस्थाओं में पारदर्शिता बढ़ाना, निवेशकों और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना, और पब्लिक सेक्टर बैंकों में ऑडिट की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है. इसके साथ ही, यह कानून कोऑपरेटिव बैंकों में निदेशकों के कार्यकाल को भी नियमित करने और आरबीआई के साथ रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं को मानकीकृत करने का लक्ष्य रखता है.