menu-icon
India Daily

बढ़ने जा रही है आपकी सलैरी, केंद्र सरकार अगले साल जनवरी से करने जा रही ये बड़ा बदलाव!

सरकार ईपीएफओ की अधिकतम वेतन सीमा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने पर विचार कर रही है, जबकि श्रम संगठनों की मांग है कि इसे 30,000 से 40,000 रुपये तक बढ़ाया जाए.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
salery
Courtesy: social media

नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की अधिकतम वेतन सीमा बढ़ाने पर केंद्र सरकार सक्रिय है. श्रम मंत्रालय इस सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने पर विचार कर रहा है. 

हालांकि, श्रम संगठनों का कहना है कि यह प्रस्ताव मौजूदा महंगाई दर और कुशल श्रमिकों के बढ़े वेतन के हिसाब से पर्याप्त नहीं है. वे मांग कर रहे हैं कि सीमा कम से कम 30,000 से 40,000 रुपये तय की जाए, ताकि श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का व्यापक लाभ मिल सके.

सरकार की कोशिश, सहमति अब भी अधूरी

श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ के तहत अधिकतम वेतन सीमा बढ़ाने को लेकर पिछले कुछ महीनों में कई दौर की बैठकें की हैं. इसमें मंत्रालय, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सूत्रों के मुताबिक, सीमा बढ़ाने पर सभी पक्ष सहमत हैं, लेकिन इसे कितना बढ़ाया जाए, इस पर मतभेद बना हुआ है. मंत्रालय फिलहाल मध्यमार्ग निकालते हुए इसे 25,000 रुपये करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है.

30 से 40 हजार तक बढ़े सीमा

कर्मचारी संगठनों का कहना है कि 25,000 रुपये की सीमा आज के समय में पर्याप्त नहीं है. महंगाई, जीवन-यापन की बढ़ती लागत और मजदूरी में हुई वृद्धि को देखते हुए इसे कम से कम 30 से 40 हजार रुपये तक बढ़ाना जरूरी है. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि ईपीएफओ और ईएसआई दोनों की वेतन सीमा को सम्मानजनक स्तर तक लाना ही वास्तविक सुधार होगा.

ईपीएफओ और ईएसआई सीमा एकसमान करने की मांग

श्रम संगठनों ने सरकार से यह भी मांग की है कि ईपीएफओ और ईएसआई की वेतन सीमा समान रखी जाए. वर्तमान में ईएसआई की अधिकतम सीमा 21,000 रुपये महीना है, जबकि ईपीएफओ की 15,000 रुपये है. श्रम संगठनों ने पिछली बैठक में प्रस्ताव दिया था कि ईएसआई की सीमा को बढ़ाकर 42,000 रुपये किया जाए, ताकि श्रमिकों को व्यापक स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल सकें.

नियोक्ताओं की असहमति बनी रोड़ा

हालांकि, नियोक्ता इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं. उनका तर्क है कि सीमा बढ़ाने से कंपनियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा. इसके चलते अब तक कोई निर्णायक फैसला नहीं लिया जा सका है. श्रम संगठनों ने श्रम मंत्री मनसुख मांडविया से आग्रह किया है कि वे दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाते हुए अंतिम निर्णय लें. अब पूरा दारोमदार मंत्रालय की अगली बैठक पर टिका है.

अगली बैठक में हो सकता है फैसला

श्रम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, ईपीएफओ के ट्रस्टी बोर्ड की अगली बैठक जनवरी 2026 में प्रस्तावित है. इसी बैठक में सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग सकती है. मंत्रालय का मानना है कि नई सीमा तय होने से करोड़ों कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा और लाभ दोनों मिलेंगे.