Diwali 2025: डिजिटल गोल्ड या फिजिकल गोल्ड, आसमान छूती कीमतों के बीच धनतेरस पर किसे खरीदना बेस्ट? यहां समझें

Digital Gold Investment Tips: दिवाली और धनतेरस के मौके पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन इस बार सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं-1,31,800 रुपये प्रति 10 ग्राम तक.ऐसे में निवेशकों के सामने सवाल है कि डिजिटल गोल्ड खरीदें या फिजिकल गोल्ड.

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Reepu Kumari

Digital Gold Investment Tips: सोने में निवेश हमेशा से भारतीयों की पहली पसंद रहा है, खासकर दिवाली और धनतेरस के अवसर पर. लेकिन 2025 में सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. दिल्ली के सर्राफा बाजार में 99.9% शुद्धता वाला सोना 1,31,800 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के 85,000 रुपये से करीब 50% ज्यादा है. ग्लोबल मार्केट डिमांड, आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव ने इसे निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बना दिया है. ऐसे में सवाल उठता है-इस बार डिजिटल गोल्ड खरीदें या पारंपरिक फिजिकल गोल्ड?

डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड के बीच तुलना इस बात पर निर्भर करती है कि आपका उद्देश्य निवेश है या परंपरा. डिजिटल गोल्ड आज के समय में आसान, सुरक्षित और तेज़ तरीका है निवेश करने का, जबकि फिजिकल गोल्ड भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए बेहतर विकल्प है. आइए विस्तार से समझते हैं दोनों के फायदे और नुकसान.

Digital Gold: आसान, सुरक्षित और लॉन्ग-टर्म रिटर्न

डिजिटल गोल्ड एक मॉडर्न और सुविधाजनक विकल्प है. इसे आप सिर्फ 1 रुपये से भी खरीद सकते हैं और यह पूरी तरह सुरक्षित रहता है क्योंकि कंपनी की वॉल्ट में रखा जाता है. Paytm, PhonePe, Google Pay या Tanishq जैसे प्लेटफॉर्म्स से डिजिटल गोल्ड आसानी से खरीदा जा सकता है.

इसमें 24 कैरेट शुद्ध सोना मिलता है और कीमत रियल-टाइम मार्केट प्राइस पर तय होती है. टैक्स नियम फिजिकल गोल्ड के समान हैं: 12 महीने के अंदर बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और एक साल बाद 12.5% टैक्स. इसके अलावा, इसमें 3% GST लगेगा लेकिन मेकिंग चार्ज नहीं देना होगा. यही कारण है कि लॉन्ग-टर्म निवेश और रिटर्न के लिए डिजिटल गोल्ड स्मार्ट विकल्प है.

Physical Gold: परंपरा और भावनात्मक जुड़ाव

फिजिकल गोल्ड में ज्वेलरी, सिक्के या बिस्किट शामिल होते हैं. पारंपरिक और धार्मिक अवसरों के लिए इसकी अहमियत हमेशा बनी रहती है. लेकिन इसे सुरक्षित रखना मुश्किल होता है और घर या बैंक लॉकर में स्टोर करना पड़ता है.

खरीदते समय 3% GST के साथ 10-20% तक मेकिंग चार्ज भी देना पड़ता है. यानी अगर आप 1 लाख रुपये का सोना खरीदते हैं, तो 10-20 हजार रुपये सिर्फ मेकिंग चार्ज में चले जाते हैं. इस वजह से फिजिकल गोल्ड शॉर्ट-टर्म निवेश के लिए महंगा पड़ता है. हालांकि, शादी, गिफ्ट या धार्मिक कारणों से इसका महत्व कम नहीं होता.

Digital vs Physical Gold: कौन सा बेहतर?

निवेश के नजरिए से डिजिटल गोल्ड ज्यादा सुविधाजनक और सुरक्षित है. इसमें न चोरी का डर, न स्टोरेज की टेंशन, और न ही मेकिंग चार्ज. वहीं, पारंपरिक उपयोग के लिए फिजिकल गोल्ड ही सही विकल्प है. इस दिवाली, अगर मकसद सिर्फ रिटर्न कमाना है तो डिजिटल गोल्ड एक स्मार्ट और सेफ चॉइस साबित हो सकता है.