संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पृथ्वी की आधी आबादी साल में कम से कम एक महीने गंभीर जल संकट का सामना करती है. बढ़ते शहरीकरण, चरम मौसम, भूजल की कमी और समुद्री जल का अतिक्रमण इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं. यह केवल पीने के पानी की कमी तक सीमित नहीं है, बल्कि खाद्य उत्पादन, विनिर्माण और बिजली उत्पादन को भी प्रभावित करता है.
समुद्र तल पर नई तकनीक
पारंपरिक डिसैलिनेशन की चुनौतियां
45 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत टॉम पैनक्रेट्ज़ कहते हैं, “डिसैलिनेशन पानी बनाने का सबसे महंगा तरीका है, और इससे कोई इनकार नहीं कर सकता.” पारंपरिक डिसैलिनेशन में समुद्री पानी को उबालकर भाप बनाई जाती थी, जो ऊर्जा-गहन थी. 2000 में रिवर्स-ऑस्मोसिस ने इस प्रक्रिया को बदल दिया, जो आधे ऊर्जा की खपत करता है. फिर भी, यह जलाशयों और भूजल की तुलना में महंगा है, जिसमें प्रति 1,000 गैलन 2 से 6 डॉलर का खर्च आता है. तटीय संयंत्रों से समुद्री जीवन को नुकसान और नमकीन ब्राइन का उत्सर्जन भी चिंता का विषय है.
समुद्र तल डिसैलिनेशन के फायदे
समुद्र तल पर संयंत्र तट से दूर होने के कारण समुद्री जीवन को कम नुकसान पहुंचाते हैं. गहराई पर शुद्ध जल झिल्लियों को कम प्रदूषित करता है, और ब्राइन तेजी से फैल जाता है. फ्लोसीन ने नॉर्वे में मॉन्गस्टैड के लिए 2026 में 264,000 गैलन प्रतिदिन उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है. वाटराइज जॉर्डन में 6.6 मिलियन गैलन प्रतिदिन का संयंत्र बनाएगी.
चुनौतियां और भविष्य
यूसीएलए के प्रोफेसर एरिक होक कहते हैं कि इन संयंत्रों की दीर्घकालिक रखरखाव और नमक-तापमान के प्रभावों का आकलन बाकी है. पैनक्रेट्ज़ का मानना है कि कम से कम एक कंपनी इस तकनीक को स्थापित कर लेगी, लेकिन इसका पैमाना और समय अनिश्चित है.