देहरादून के सेलाकुई इलाके में त्रिपुरा निवासी छात्र एंजेल चकमा की मौत का मामला इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है. इस बीच देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अजय सिंह ने साफ कहा है कि अब तक की पुलिस जांच में इस घटना को नस्लीय हिंसा या भेदभाव से जोड़ने का कोई प्रमाण सामने नहीं आया है.
एसएसपी के अनुसार, यह घटना दो पक्षों के युवकों के बीच हुई मारपीट से जुड़ी है. मारपीट में गंभीर रूप से घायल एंजेल चकमा की 26 दिसंबर को इलाज के दौरान मौत हो गई. इस मामले में पुलिस ने दो नाबालिग समेत कुल पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इनमें से तीन आरोपियों को 14 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि दो नाबालिगों को संरक्षण में रखा गया है.
पुलिस ने बताया कि इस घटना में एक अन्य आरोपी, जो नेपाल का निवासी है, घटना के बाद से फरार चल रहा है. उसकी गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस की टीमें नेपाल भेजी गई हैं.
एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस घटना को नस्लीय भेदभाव से जोड़कर फैला रहे हैं, लेकिन जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है. न तो पीड़ित पक्ष की ओर से दी गई तहरीर में नस्लीय टिप्पणी या हिंसा का जिक्र है और न ही जांच में इसका कोई सबूत मिला है.
पुलिस जांच में सामने आया है कि 9 दिसंबर को मणिपुर निवासी सूरज ख्वास अपने बेटे के जन्मदिन की पार्टी में दोस्तों के साथ मजाक-मस्ती कर रहा था. इसी दौरान एंजेल चकमा और उसके साथियों को गलतफहमी हुई कि उन पर टिप्पणी की जा रही है. इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में विवाद बढ़ गया और मारपीट हो गई.
मारपीट में एंजेल चकमा और उसके भाई माइकल चकमा को चोटें आईं. बाद में एंजेल की इलाज के दौरान मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक आरोपियों में एक मणिपुर का निवासी है और एक नेपाल का. सभी आरोपी पर्वतीय क्षेत्रों से जुड़े हैं और उनकी पहचान या बयान में किसी भी तरह की नस्लीय सोच सामने नहीं आई है.
देहरादून पुलिस ने लोगों से अपील की है कि बिना तथ्यों के इस दुखद घटना को नस्लीय हिंसा से न जोड़ा जाए. पुलिस का कहना है कि यह एक आपसी विवाद से उपजी मारपीट की घटना थी, जिसकी जांच निष्पक्ष रूप से जारी है.