साल 2025 विदा लेने को है लेकिन यह साल उत्तराखंड के लिए गहरी टीस छोड़ गया है. पूरे साल सड़क हादसे लगातार सुर्खियों में रहे. शायद ही कोई ऐसा जिला रहा हो जहां दर्दनाक दुर्घटनाएं न हुई हों. नशे में ड्राइविंग, तेज रफ्तार और लापरवाही ने सैकड़ों परिवारों को उजाड़ दिया. पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां सड़क हादसों का असर और भी भयावह नजर आया.
साल का सबसे बड़ा और दर्दनाक हादसा 26 जून 2025 को रुद्रप्रयाग जिले में हुआ. चारधाम यात्रा पर जा रही श्रद्धालुओं की एक मिनी बस अलकनंदा नदी में जा गिरी. इस हादसे में मौके पर ही 10 लोगों की मौत हो गई. बस में राजस्थान महाराष्ट्र और गुजरात के श्रद्धालु सवार थे. ड्राइवर के अनुसार पीछे से ट्रक की टक्कर के कारण बस अनियंत्रित हो गई थी. आज भी दुर्घटनाग्रस्त बस का कोई सुराग नहीं मिल पाया है.
यह हादसा जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर घोलतीर के पास हुआ था. इस घटना ने चारधाम यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. जो लोग इस हादसे में बच गए वह आज भी शारीरिक और मानसिक चोटों से जूझ रहे हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सरकार और प्रशासन की तैयारियों पर बहस तेज हो गई थी.
साल 2025 का एक और बड़ा हादसा टिहरी गढ़वाल में सामने आया. देवप्रयाग के पास शादी समारोह में जा रहा एक परिवार हादसे का शिकार हो गया. ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर उनकी कार 300 मीटर नीचे अलकनंदा नदी में गिर गई. इस हादसे में पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जिसमें तीन बच्चे शामिल थे. केवल 45 सालीय अनीता देवी को बचाया जा सका.
जनवरी माह में पौड़ी गढ़वाल जिला भी एक बड़े हादसे का गवाह बना. 12 जनवरी 2025 को सत्यखाल मोटर मार्ग पर एक बस 80 मीटर गहरी खाई में गिर गई. बस में 28 यात्री सवार थे. हादसे में तीन महिलाओं समेत छह लोगों की मौत हो गई जबकि 22 यात्री घायल हो गए. बस के परखच्चे उड़ गए और रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी मशक्कत करनी पड़ी.
नवंबर महीने में टिहरी जिले के नरेंद्र नगर क्षेत्र में एक और बड़ा हादसा हुआ. कुंजापुरी मंदिर से दर्शन कर लौट रही श्रद्धालुओं की बस ब्रेक फेल होने के कारण खाई में गिर गई. गंगोत्री ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुए इस हादसे में पांच लोगों की मौत हुई और 13 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए. मृतकों में दिल्ली गुजरात और उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु शामिल थे.
नवंबर में ही अल्मोड़ा नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग पर शिक्षकों की कार शिप्रा नदी में गिर गई. इस हादसे में तीन शिक्षकों की मौत हो गई जबकि एक को गंभीर हालत में रेफर किया गया. इसी महीने कैंची धाम दर्शन के लिए जा रहे बरेली निवासी राहुल पटेल की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस हादसे में राहुल उनकी मां और साली की मौत हो गई.
दिसंबर महीने में ऋषिकेश और हरिद्वार में भी कई दर्दनाक हादसे हुए. 16 दिसंबर की रात ऋषिकेश में चार युवकों की कार खड़े ट्रक से टकरा गई और चारों की मौत हो गई. वहीं हरिद्वार दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऋषिकुल के पास कार जनरेटर से टकरा गई जिसमें तीन लोगों की जान चली गई.
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. साल 2024 में 1311 सड़क दुर्घटनाओं में 2024 लोगों की मौत हुई थी. जबकि साल 2025 में सितंबर तक 1600 हादसों में 917 लोगों की जान जा चुकी है. यह तब है जब हर साल सड़क सुरक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. सवाल यह है कि आखिर कब तक उत्तराखंड की सड़कों पर मौत का यह सिलसिला चलता रहेगा.