उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा लिए गए पतंजलि गाय के घी के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे, जिसके बाद लगभग पांच साल लंबी प्रक्रिया के अंत में कोर्ट ने सख्त कार्रवाई की. प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की दो अलग-अलग लैब जांचों में घी की गुणवत्ता अस्वीकार्य पाई गई.
विभाग द्वारा प्रस्तुत सबूतों के आधार पर न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, डिस्ट्रीब्यूटर और स्थानीय विक्रेता पर आर्थिक दंड लगाते हुए खाद्य सुरक्षा अधिनियम के पालन की चेतावनी भी जारी की.
असिस्टेंट कमिश्नर आरके शर्मा ने बताया कि पतंजलि गाय का घी दोनों स्तरों की लैब जांच में मानकों से नीचे पाया गया. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि इस घी के सेवन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं. पहली जांच में ही कमियां सामने आ गई थीं, जिसके बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू हुई.
मैं तो पहले ही कहता था, गाय भैंस है नहीं और बाबा रामदेव देश भर में घी का कारोबार बढ़ाते जा रहे है।
— Ajit Singh Rathi (@AjitSinghRathi) November 28, 2025
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में पतंजलि के घी के नमूने फेल हो गए, फ़ूड सेफ़्टी विभाग ने
पतंजलि और वितरक पर 1.40 लाख ₹ का जुर्माना लगाया है।
उस पर भी तुर्रा यह है कि जिसे आधार बनाकर… pic.twitter.com/lVBdYqM7Yk
20 अक्टूबर 2020 को कासनी क्षेत्र के करन जनरल स्टोर से रुटीन चेकिंग के दौरान घी का नमूना लिया गया था. राज्य प्रयोगशाला रुद्रपुर ने इसे अस्वीकृत पाया. 2021 में कंपनी को जानकारी दी गई, लेकिन लंबे समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. बाद में पतंजलि ने दोबारा जांच की मांग की.
कंपनी की अपील पर नमूने राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला गाजियाबाद भेजे गए. 26 नवंबर 2021 को आई रिपोर्ट में भी घी मानकों पर खरा नहीं उतरा. इसके बाद विभाग ने रिपोर्ट का अध्ययन कर मामला कोर्ट में प्रस्तुत किया.
खाद्य सुरक्षा अधिकारी दिलीप जैन ने अदालत के सामने सभी दस्तावेज, रिपोर्ट और पूरी जांच प्रक्रिया के विवर रखे. करीब 1,348 दिनों तक चली सुनवाई में अदालत ने सभी तथ्यों को देखते हुए दोष तय किया और कठोर दंड का आदेश दिया.
अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड पर 1 लाख रुपये, ब्रह्म एजेंसी पर 25 हजार रुपये और करन जनरल स्टोर पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने सभी पक्षों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 का सख्ती से पालन करने की चेतावनी भी दी.