इस राज्य में गन्ना किसानों को झटका, रेट बढ़ाए जाने के बावजूद किसानों को झेलना पड़ेगा नुकसान

प्रदेश सरकार ने गन्ने के नए समर्थन मूल्य का आदेश जारी कर दिया है. इसके साथ ही सभी चीनी मिलों को बताया गया है कि वे किसानों को भुगतान इसी नए मूल्य के अनुसार करें.

Anuj

रुड़की: प्रदेश सरकार ने गन्ने के नए समर्थन मूल्य का आदेश जारी कर दिया है. इसके साथ ही सभी चीनी मिलों को बताया गया है कि वे किसानों को भुगतान इसी नए मूल्य के अनुसार करें. इसके अलावा गन्ना ढोने यानी परिवहन शुल्क में भी सरकार ने बढ़ोतरी कर दी है. पहले क्रय केंद्र पर गन्ना पहुंचाने पर किसानों से 9.50 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती की जाती थी, लेकिन अब यह बढ़ाकर 11 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है.

गन्ने का मूल्य 405 रुपये प्रति क्विंटल तय

नए शासनादेश के मुताबिक, अब गन्ने का पूरा लेन-देन और भुगतान नई दरों के अनुसार होगा. गन्ने की कीमत बढ़ने से किसानों को राहत मिली है, लेकिन परिवहन लागत बढ़ने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है. उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में गन्ने की कीमत में 30 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी का ऐलान किया था. यह बढ़ोतरी उत्तर प्रदेश की दरों को ध्यान में रखते हुए की गई है. इसके बाद अब उत्तराखंड में गन्ने का मूल्य 405 रुपये प्रति क्विंटल तय हुआ है.

परिवहन शुल्क में बढ़ोतरी

गन्ना क्रय केंद्र तक गन्ना लाने वाले किसानों के लिए स्थिति थोड़ी कठिन हो गई है. पहले जहां 9.50 रुपये प्रति क्विंटल किराया काटा जाता था, वहीं अब यह कटौती 11 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है. इसका मतलब यह है कि किसान को वास्तव में गन्ने का मूल्य 405 रुपये नहीं बल्कि 394 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा, क्योंकि बाकी राशि ढुलाई शुल्क के रूप में कट जाएगी.

गन्ना आयुक्त ने जारी किए निर्देश

गन्ना आयुक्त ने सभी चीनी मिलों को निर्देशित किया है कि वे गन्ना पर्चियों पर नई दरें दर्ज करा लें और इसी आधार पर किसानों को भुगतान करें. और साथ ही मिलों को यह भी कहा गया है कि वे गन्ने के अंतर मूल्य भुगतान की सभी तैयारियां पूरी कर लें, ताकि किसानों को समय पर सही भुगतान मिल सके.

गन्ने की कीमत बढ़ने का फायदा

सरकार के इस निर्णय से एक ओर गन्ने की कीमत बढ़ने का फायदा मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर ढुलाई शुल्क बढ़ने से किसानों को आर्थिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है. अब किसान नई दरों के साथ अपनी लागत और मुनाफे का हिसाब फिर से लगा रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि आगे सरकार उनके हित में और भी फैसले लेगी.