हरिद्वार में यूपी सिंचाई विभाग की जमीन पर बनी थी मजार, वीडियो में देखें प्रशासन का बुलडोजर एक्शन

मंगलवार सुबह एसडीएम जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक संयुक्त टीम मौके पर पहुंची. टीम में सिंचाई विभाग के इंजीनियर, पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे.

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Gyanendra Sharma

देहरादून: हरिद्वार  जिले के बहादरबाद क्षेत्र में मंगलवार को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सलेमपुर में पुरानी और नई ग गंगनहर के बीच बनी एक अवैध मजार को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. यह मजार उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की सरकारी भूमि पर लंबे समय से कब्जा जमाए हुए थी, जिसे लेकर स्थानीय स्तर पर विवाद चल रहा था.

सलेमपुर गांव में स्थित यह मजार काफी वर्षों से वहां मौजूद थी और इसके आसपास कुछ लोग पूजा-पाठ करते नजर आते थे. हालांकि, सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना था कि यह भूमि नहरों के रखरखाव और जल प्रबंधन के लिए आरक्षित है, इसलिए यहां कोई स्थायी निर्माण वैध नहीं हो सकता. कुछ दिनों पहले ही जिला प्रशासन ने मजार के रखवालों को नोटिस जारी कर चेतावनी दी थी कि अवैध कब्जा खाली किया जाए, वरना कार्रवाई की जाएगी. नोटिस के बावजूद कोई हल नहीं निकलने पर प्रशासन ने अंतिम कदम उठाया.

पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी के समाने चला जेसीबी  

मंगलवार सुबह एसडीएम जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक संयुक्त टीम मौके पर पहुंची. टीम में सिंचाई विभाग के इंजीनियर, पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे. जेसीबी मशीनों की मदद से मजार की संरचना को तोड़ा गया और पूरे क्षेत्र से अतिक्रमण हटा दिया गया. कार्रवाई शांतिपूर्ण रही, क्योंकि पहले से ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.

एसडीएम ने क्या कहा?

एसडीएम जितेंद्र कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की इस ज़मीन पर एक धार्मिक संरचना का अतिक्रमण किया गया था. 16 अक्टूबर को, उत्तर प्रदेश सिंचाई अधिकारियों ने अतिक्रमणकारियों को एक नोटिस जारी किया और उन्हें 15 दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने और सहायक दस्तावेज़ जमा करने को कहा. हालाँकि, विभाग ने कहा कि उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया है. इसलिए, समय सीमा बीत जाने के बाद, आज इस संरचना को हटाया जा रहा है."

यह कार्रवाई जिले में सरकारी भूमियों पर हो रहे अवैध कब्जों के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है. सिंचाई विभाग के अनुसार, गंगनहर जैसी महत्वपूर्ण जल संरचनाओं के किनारे अतिक्रमण से न केवल जल प्रवाह प्रभावित होता है, बल्कि बाढ़ जैसी आपदाओं का खतरा भी बढ़ता है. प्रशासन का कहना है कि ऐसी कार्रवाइयां आगे भी जारी रहेंगी, ताकि सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा हो सके.