टीहरी गढ़वाल: UKSSSC ग्रेजुएट लेवल भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच में बड़ा मोड़ आया है. सीबीआई ने टीहरी गढ़वाल के एक सरकारी कॉलेज में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन चौहान को गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ्तारी परीक्षा के दौरान रियल टाइम में सवाल हल कर एक उम्मीदवार को भेजने के आरोप में की गई है. सीबीआई ने इसे पेपर लीक गैंग के नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में एक अहम कदम बताया है.
यह मामला तब सामने आया था जब परीक्षा की तीन पेज की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई थीं. यह परीक्षा 21 सितंबर 2025 को आयोजित की गई थी जिसमें पटवारी, लेखपाल और अन्य प्रशासनिक पदों के लिए एक लाख से अधिक उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था.
CBI Arrests an Assistant Professor in Uttarakhand Graduate Level Examination Paper Leak Case pic.twitter.com/rwrGE0W2so
— Central Bureau of Investigation (India) (@CBIHeadquarters) November 28, 2025
एफआईआर और जांच में सामने आया कि उम्मीदवार मोहम्मद खालिद शहजाद ने हरिद्वार परीक्षा केंद्र के अंदर से प्रश्नपत्र की तस्वीरें खींचीं और उन्हें अपनी बहनों सबीहा और हिना को भेजा. दोनों बहनों ने ये तस्वीरें आगे प्रोफेसर सुमन चौहान तक पहुंचाईं. आरोप है कि चौहान ने उसी समय सवाल हल किए और जवाब वापस खालिद को भेज दिए. यह सब एक सुनियोजित तरीके से किया गया था जिससे पता चलता है कि यह कोई अचानक हुई गलती नहीं बल्कि एक संगठित साजिश थी.
आरोपियों पर भर्ती परीक्षा में धांधली और अनुचित साधनों के उपयोग से जुड़े प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. लीक सामने आने के बाद UKSSSC ने तुरंत परीक्षा रद्द कर दी और घोषणा की कि तीन महीने के भीतर 416 रिक्त पदों के लिए पुनः परीक्षा कराई जाएगी. इस घटना ने पूरे प्रदेश में आक्रोश पैदा कर दिया. अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई.
जनता और युवाओं के दबाव के बाद अक्टूबर 2025 के अंत में केस सीबीआई को सौंपा गया. सीबीआई ने पूरे नेटवर्क की जांच शुरू की और 28 नवंबर 2025 को सुमन चौहान की गिरफ्तारी को बड़ी सफलता बताया है. सरकार ने इस मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त जस्टिस यू सी ध्यानी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग बनाया था जिसने अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है.
सीबीआई ने संकेत दिया है कि इस मामले में आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं क्योंकि पूरे नेटवर्क को ट्रेस करने का काम जारी है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में 2010 से अब तक 60 से अधिक बड़े पेपर लीक मामले सामने आ चुके हैं जिन्होंने लाखों युवाओं को प्रभावित किया है.