menu-icon
India Daily

एंजेल चकमा हत्याकांड में 6 आरोपियों की पूरी हिस्ट्री, उत्तराखंड पुलिस का नस्लीय हिंसा से इनकार, बताया कैसे शुरू हुई मारपीट?

देहरादून में एंजेल चकमा की मौत के मामले में पुलिस ने नस्लीय हिंसा से इनकार किया है. जांच में इसे आपसी विवाद और मारपीट का मामला बताया गया है. पांच आरोपी गिरफ्तार हैं और एक फरार आरोपी की तलाश जारी है.

Km Jaya
Edited By: Km Jaya
एंजेल चकमा हत्याकांड में 6 आरोपियों की पूरी हिस्ट्री, उत्तराखंड पुलिस का नस्लीय हिंसा से इनकार, बताया कैसे शुरू हुई मारपीट?
Courtesy: @Tricolour1st x account

देहरादून: देहरादून के सेलाकुई इलाके में हुए युवक एंजेल चकमा की मौत के मामले में पुलिस ने नस्लीय हिंसा की आशंका को खारिज कर दिया है. देहरादून पुलिस के अनुसार यह घटना दो पक्षों के बीच हुए आपसी विवाद के बाद हुई मारपीट का नतीजा थी. पुलिस का कहना है कि अब तक की जांच में किसी भी तरह की नस्लीय गाली गलौज या नस्लीय हमले का कोई सबूत नहीं मिला है. 

देहरादून पुलिस ने बताया कि इस मामले में कुल छह आरोपी सामने आए हैं. जिनमें से पांच की गिरफ्तारी हो चुकी है. दो आरोपी नाबालिग हैं, जिन्हें कानून के अनुसार संरक्षण में रखा गया है. जांच अभी भी जारी है. देहरादून पुलिस ने कहा, 'मैं इन आरोपों को खारिज करता हूं कि पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज नहीं की क्योंकि घटना की शिकायत 24 घंटे बाद दर्ज कराई गई थी'. पुलिस के मुताबिक एक आरोपी नेपाल का रहने वाला है, जो घटना के बाद से फरार है. उसकी गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है और अदालत ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है.

क्या है मामला?

यह घटना 9 दिसंबर 2025 को सामने आई थी. सेलाकुई क्षेत्र में रहने वाले त्रिपुरा निवासी एंजेल चकमा और उनके भाई माइकल चकमा एक विवाद के दौरान घायल हो गए थे. एंजेल चकमा को गंभीर चोटें आई थीं और इलाज के दौरान 26 दिसंबर 2025 को उनकी मौत हो गई. जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी.

शुरुआती जांच में क्या आया सामने?

एसएसपी देहरादून अजय सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि यह विवाद एक जन्मदिन पार्टी के दौरान शुरू हुआ था. मणिपुर निवासी सूरज खवास के जन्मदिन पर दोस्तों के बीच मजाक के दौरान कुछ बातों को आपत्तिजनक समझ लिया गया, जिसके बाद कहासुनी हुई. यह कहासुनी बाद में मारपीट में बदल गई. इसी दौरान एंजेल चकमा और उनके भाई घायल हुए.

पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर इस घटना को नस्लीय हिंसा से जोड़कर जो दावे किए जा रहे हैं, उनकी पुष्टि जांच में नहीं हुई है. 9 दिसंबर से 26 दिसंबर तक किसी भी स्तर पर नस्लीय टिप्पणी या भेदभाव की कोई शिकायत पुलिस या मीडिया को नहीं दी गई थी. एफआईआर में भी ऐसा कोई आरोप दर्ज नहीं है.

जांच में आरोपी के बारे में क्या पता चला?

जांच में सामने आया है कि आरोपियों में एक मणिपुर का निवासी है, एक नेपाल से है, एक नाबालिग बुक्सा अनुसूचित जनजाति से है और अन्य आरोपी उत्तराखंड के रहने वाले हैं. पुलिस ने स्थानीय लोगों के बयान दर्ज किए हैं और सीसीटीवी फुटेज समेत डिजिटल सबूत भी जुटाए हैं. पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.