देहरादून: देहरादून के सेलाकुई इलाके में हुए युवक एंजेल चकमा की मौत के मामले में पुलिस ने नस्लीय हिंसा की आशंका को खारिज कर दिया है. देहरादून पुलिस के अनुसार यह घटना दो पक्षों के बीच हुए आपसी विवाद के बाद हुई मारपीट का नतीजा थी. पुलिस का कहना है कि अब तक की जांच में किसी भी तरह की नस्लीय गाली गलौज या नस्लीय हमले का कोई सबूत नहीं मिला है.
देहरादून पुलिस ने बताया कि इस मामले में कुल छह आरोपी सामने आए हैं. जिनमें से पांच की गिरफ्तारी हो चुकी है. दो आरोपी नाबालिग हैं, जिन्हें कानून के अनुसार संरक्षण में रखा गया है. जांच अभी भी जारी है. देहरादून पुलिस ने कहा, 'मैं इन आरोपों को खारिज करता हूं कि पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज नहीं की क्योंकि घटना की शिकायत 24 घंटे बाद दर्ज कराई गई थी'. पुलिस के मुताबिक एक आरोपी नेपाल का रहने वाला है, जो घटना के बाद से फरार है. उसकी गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है और अदालत ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है.
#WATCH | Dehradun | On the death of Tripura student Angel Chakma, SSP Dehradun Ajay Singh says," In preliminary investigation, no evidence of racial remarks has emerged in the inquiry in this case. Probe is still underway. I reject the allegations (that the police did not file an… pic.twitter.com/7HLZcOLIfw
— ANI (@ANI) December 30, 2025
यह घटना 9 दिसंबर 2025 को सामने आई थी. सेलाकुई क्षेत्र में रहने वाले त्रिपुरा निवासी एंजेल चकमा और उनके भाई माइकल चकमा एक विवाद के दौरान घायल हो गए थे. एंजेल चकमा को गंभीर चोटें आई थीं और इलाज के दौरान 26 दिसंबर 2025 को उनकी मौत हो गई. जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी.
एसएसपी देहरादून अजय सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि यह विवाद एक जन्मदिन पार्टी के दौरान शुरू हुआ था. मणिपुर निवासी सूरज खवास के जन्मदिन पर दोस्तों के बीच मजाक के दौरान कुछ बातों को आपत्तिजनक समझ लिया गया, जिसके बाद कहासुनी हुई. यह कहासुनी बाद में मारपीट में बदल गई. इसी दौरान एंजेल चकमा और उनके भाई घायल हुए.
पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर इस घटना को नस्लीय हिंसा से जोड़कर जो दावे किए जा रहे हैं, उनकी पुष्टि जांच में नहीं हुई है. 9 दिसंबर से 26 दिसंबर तक किसी भी स्तर पर नस्लीय टिप्पणी या भेदभाव की कोई शिकायत पुलिस या मीडिया को नहीं दी गई थी. एफआईआर में भी ऐसा कोई आरोप दर्ज नहीं है.
जांच में सामने आया है कि आरोपियों में एक मणिपुर का निवासी है, एक नेपाल से है, एक नाबालिग बुक्सा अनुसूचित जनजाति से है और अन्य आरोपी उत्तराखंड के रहने वाले हैं. पुलिस ने स्थानीय लोगों के बयान दर्ज किए हैं और सीसीटीवी फुटेज समेत डिजिटल सबूत भी जुटाए हैं. पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.