उत्तराखंड: दिल्ली में हाल ही में हुए लाल किला विस्फोट के बाद, इसका असर अब उत्तराखंड में भी साफ दिखाई दे रहा है. पुराने वाहनों से जुड़े सुरक्षा जोखिमों को देखते हुए, देहरादून प्रशासन ने पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री के लिए एक सख्त और स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने का फैसला किया है. अधिकारियों के अनुसार, अब पुराने वाहनों से जुड़े सभी वित्तीय लेन-देन केवल बैंक खातों के माध्यम से ही करने होंगे.
इतना ही नहीं, सभी दस्तावेजों और खरीदार के मोबाइल नंबर की जांच की जिम्मेदारी अब सीधे पुराने वाहनों के शोरूम मालिक की होगी. यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि हाल ही में हुए दिल्ली विस्फोट मामले में, हमले में इस्तेमाल की गई कार, उसे चलाने वाले व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं थी. इससे देश भर में पुराने वाहनों की बिक्री में व्याप्त खामियों पर गंभीर सवाल उठे हैं.
देहरादून पुरानी कारों और बाइकों के बड़े बाजार के लिए जाना जाता है. कई डीलर बेचने से पहले कई महीनों तक वाहनों को अपने पास रखते हैं. डीजीपी दीपम सेठ के निर्देशों का पालन करते हुए, देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने शनिवार को शहर भर के विभिन्न सेकेंड-हैंड वाहन केंद्रों का स्वयं दौरा किया. उन्होंने पुरानी कारों, बाइकों और किराये के वाहनों की दुकानों का निरीक्षण किया.
दौरे के बाद, एसएसपी ने पुराने वाहनों की बिक्री और किराये को नियंत्रित करने के लिए एक सख्त मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने के आदेश दिए. एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि अब सभी पुरानी कार और बाइक डीलरों को कोई भी वाहन बेचने या किराये पर देने से पहले ग्राहकों को एक विशेष फॉर्म देना होगा. फॉर्म में खरीदार का पूरा विवरण, जिसमें वैध पहचान पत्र और उनका चालू मोबाइल नंबर शामिल है, भरना होगा.
इन विवरणों का सत्यापन डीलर की जिम्मेदारी होगी. यदि कोई डीलर इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों का मानना है कि इन उपायों से आपराधिक गतिविधियों के लिए पुराने वाहनों के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी तथा क्षेत्र में समग्र सुरक्षा में सुधार होगा.