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‘साहब, मैं जिंदा हूं...’, चिट्ठी लेकर जिलाधिकारी के पास पहुंची 'मरी' हुई महिला; मामला सुन चौंक गए लोग!

Uttar Pradesh News: 'साहब, मैं जिंदा हूं', ये शब्द हाथ में एक कागज पर लिखे थे और उसे लेकर एक महिला जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची. इस चौंकाने वाली घटना में महिला ने आरोप लगाया है कि उसके ही रिश्तेदारों ने उसे कागजों में मरा हुआ दिखा दिया, ताकि वे उसके पिता की जमीन पर कब्जा कर सकें. 

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Edited By: Princy Sharma
Uttar Pradesh News
Courtesy: X

Uttar Pradesh: 'साहब, मैं जिंदा हूं', ये शब्द हाथ में एक कागज पर लिखे थे और उसे लेकर एक महिला जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची. इस चौंकाने वाली घटना में महिला ने आरोप लगाया है कि उसके ही रिश्तेदारों ने उसे कागजों में मरा हुआ दिखा दिया, ताकि वे उसके पिता की जमीन पर कब्जा कर सकें. 

महिला की पहचान शारदा देवी के रूप में हुई है. उन्होंने बताया कि वह अपने स्वर्गीय पिता की इकलौती संतान हैं और उनके पिता ने अपनी सारी संपत्ति वसीयत के जरिए उनके नाम कर दी थी. पहले तो वसीयत के अनुसार जमीन का नामांतरण शारदा देवी के नाम हो गया था. लेकिन कुछ सालों बाद, उनके पिता के बड़े भाई के बेटों ने सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर करके उन्हें मरा हुआ घोषित कर दिया. इसके बाद उन लोगों ने जमीन का नामांतरण अपने नाम करवा लिया.

“मैं जिंदा हूं'

शारदा देवी ने कहा कि वह सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटती रहीं, लेकिन तहसील स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई. अब मजबूरी में वह जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लेकर पहुंचीं. उन्होंने सबके सामने एक चिट्ठी दिखाई जिस पर लिखा था, 'साहब, मैं जिंदा हूं'.

जांच के आदेश

जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें शारदा देवी की शिकायत मिली है. महिला ने दस्तावेज दिखाए जिसमें उनके पिता की वसीयत और जमीन का नामांतरण उनके नाम होने की पुष्टि होती है. लेकिन बाद में झूठे कागजों के जरिए दोबारा नामांतरण करवा लिया गया.

डीएम ने इसे गंभीर मामला मानते हुए उप-जिलाधिकारी (SDM) को एक हफ्ते में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि अगर झूठा मृत्यु प्रमाण पत्र इस्तेमाल किया गया है, तो न केवल संपत्ति हथियाने वालों के खिलाफ, बल्कि फर्जी दस्तावेज जारी करने वाले अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.

क्या होगा अगला कदम?

यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा.  यह मामला बताता है कि कानूनी सिस्टम में जीवित व्यक्ति को भी अपने अस्तित्व को साबित करना कितना मुश्किल हो सकता है, खासकर जब रिश्तेदार ही धोखा दे दें.