गाजियाबाद: पिछले हफ्ते गाजियाबाद में पश्चिम बंगाल की एक 22 साल की महिला ने अपनी ही नवजात बच्ची को जन्म देने के महज 45 मिनट बाद ही मार डाला. इस महिला को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस के मुताबिक, झरना नाम की महिला ने बच्ची को छत से फेंक दिया. इस छत पर वो अपनी बहन के साथ सो रही थी और इसी छत से उसने अपनी बच्ची को फेंक दिया.
खबरों के अनुसार, वह चाहती थी कि बच्ची का शव घर के पीछे खाली प्लॉट में गिरे, लेकिन इसके बजाय, बच्ची का शव एक पड़ोसी की छत पर जा गिरा. बता दें कि यह घटना 5 दिसंबर को सुबह करीब 6:30 बजे सामने आई. नेहरू नगर के राकेश मार्ग के रहने वाले विनय रावत को बच्ची का शव अपनी छत पर मिला और उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी. ACP (नंदग्राम) उपासना पांडे ने बताया कि नवजात बच्ची कुछ ही घंटे की लग रही थी.
पड़ोसी ने पुलिस को बताया कि पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर का रहने वाला शंकर सेन पास के एक किराए के घर में रह रहा था. उसकी भाभी झरना करीब एक महीने पहले वहां रहने आई थी. वह गर्भवती थी. जब अधिकारी शंकर के घर गए, तो उन्हें झरना अपनी बहन सविता के साथ मिली.
झरना ने पुलिस को बताया कि वह और उसका परिवार इतने गरीब थे कि अस्पताल नहीं जा सकते थे, इसलिए उसने बच्चे को घर पर ही जन्म दिया. उसने यह भी कहा कि जन्म के समय नवजात बच्ची सांस नहीं ले रही थी. यह मानकर कि बच्ची मर गई है, उसने और उसकी बहन ने शव को एक खाली प्लॉट में फेंकने की कोशिश की. उसने दावा किया कि शव गलती से पड़ोसी की छत पर गिर गया. लेकिन बाद में यह बयान झूठा साबित हुआ.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि बच्ची घायल होने के समय जिंदा थी. शव की जांच करने वाले डॉक्टर ने बताया कि बच्ची की खोपड़ी में फ्रैक्चर था और उसके हाथ-पैर टूटे हुए थे. ये चोटें जन्म के एक घंटे के अंदर लगी थीं. जब झरना से आगे की पूछताछ की गई तो वह टूट गई. इसके बाद उसने कबूल कर लिया कि उसने बच्ची को जब फेंका था जब वह जिंदा थी.
पुलिस को पता चला कि झरना की शादी बिहार के दरभंगा के रहने वाले बादल नाम के एक आदमी से करीब डेढ़ साल पहले हुई थी. वह बेसब्री से एक बेटा चाहती थी. उसने यह भी बताया कि उसने पांच महीने पहले दरभंगा के एक प्राइवेट क्लिनिक में अवैध रूप से लिंग परीक्षण करवाया था, जिसमें पता चला था कि उसके पेट में लड़की है. गाजियाबाद आने से पहले, उसने प्रेग्नेंसी को अबॉर्ट कराने की कोशिश की थी. वह अकेले एक हॉस्पिटल गई, लेकिन डॉक्टरों ने हेल्थ रिस्क के कारण मना कर दिया. बाद में, अपने परिवार की कुछ महिलाओं की बताई दवाएं लेने के बाद उसकी हालत और खराब हो गई.
झरना 14 नवंबर को नेहरू नगर में अपनी बहन सविता के घर पहुंची. 5 दिसंबर की सुबह उसे लेबर पेन शुरू हुआ. हालांकि सविता ने हॉस्पिटल जाने की जिद की, लेकिन झरना ने मना कर दिया और सुबह करीब 6 बजे घर पर ही बच्चे को जन्म दिया. बाद में उसने पुलिस को बताया कि वह घबरा गई थी और अपने पति को यह बताने से डर रही थी कि उसने एक लड़की को जन्म दिया है.
बच्ची को छत से फेंक दिया गया और वह करीब 20 फीट दूर रावत की छत पर गिरी. शव पॉलिथीन में लिपटा हुआ था और पानी की टंकी के पास मिला. झरना पर BNS की धारा 91 के तहत जन्म के तुरंत बाद बच्चे की मौत का कारण बनने का आरोप लगाया गया है. पुलिस ने उसकी बहन और जीजा के बयान लिए हैं और DNA टेस्ट किया जाएगा. अधिकारी दरभंगा में उसके पति से भी संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.