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यूपी का क्राइम फ्री गांव, जहां 30 साल से नहीं आई पुलिस, न कोई झगड़ा ना कोई FIR

इस गांव में आखिरी केस 1984 में दर्ज हुआ था. उसके बाद से यहां आज तक पुलिस नहीं आई. आस पास के गांव भी इस मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
 Uttar Pradesh crime free village Ratangarh in hapur where no police has come for 30 years
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Uttar Pradesh Crime Free Village: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में गंगा नदी के किनारे बसा एक छोटा-सा गांव पूरे देश के लिए शांति और सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है. गढ़मुक्तेश्वर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत स्थित रतनगढ़ गांव में पिछले 30 वर्षों से पुलिस थाने में एक भी शिकायत या FIR दर्ज नहीं हुई है. यह कोई संयोग या चमत्कार नहीं, बल्कि ग्रामीणों की परिपक्व समझ, आपसी भाईचारे और पारंपरिक मूल्यों का जीता-जागता प्रमाण है. जहां देशभर के गांवों में मामूली विवादों पर तलवारें खिंच जाती हैं, वहीं यहां हर समस्या को गांव की चौपाल पर ही सुलझा लिया जाता है. दिल्ली से महज 50 किलोमीटर दूर यह गांव न केवल अपराध-मुक्त है, बल्कि साक्षरता और समृद्धि का भी प्रतीक बन चुका है.

गांव में नशे का नामोनिशान तक नहीं

रतनगढ़ एक छोटा-सा राजपूत बहुल गांव है, जहां करीब 50 परिवार निवास करते हैं. ज्यादातर परिवार एक ही गोत्र से जुड़े होने के कारण यहां रक्त संबंधों की मजबूत डोर है. गंगा के खादर इलाके में बसे इस गांव की आबादी सीमित होने के बावजूद, यह पूर्ण साक्षर घोषित हो चुका है. यहां हर व्यक्ति पढ़ा-लिखा है, ज्यादातर नौकरियों या आधुनिक खेती में संलग्न हैं. सबसे खास बात, गांव में नशे का नामोनिशान तक नहीं है  न शराब, न तंबाकू, न कोई अन्य नशीला पदार्थ. 

गांव के लोग करते हैं जैविक खेती

ग्रामीण बताते हैं कि जैविक खेती से उनकी आमदनी दोगुनी हो गई है, जिससे आर्थिक स्थिरता ने सामाजिक सद्भाव को और मजबूत किया है. सरपंच का पद यहां आज भी सर्वोच्च माना जाता है; उनकी एक आवाज पर सभी एकजुट हो जाते हैं.

बुजुर्गों का फैसला सर्वमान्य

गांव में छोटे-मोटे झगड़े जैसे जमीन का रास्ता या पारिवारिक रंजिश कभी भी पुलिस तक नहीं पहुंचते. बड़े-बुजुर्गों की पंचायत में बैठकर सब कुछ तय हो जाता है. थाने के रिकॉर्ड खंगालने पर भी रतनगढ़ का कोई केस नहीं मिलता. 

कभी कोई थाने में रिपोर्ट देने नहीं आया

गढ़ कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर नीरज कुमार ने बताया कि "रतनगढ़ अलग तरह का गांव है. यहां के लोग झगड़ते नहीं हैं. यदि कोई कभी विवाद हो भी जाता है तो गांव में बड़े बुजुर्ग ही फैसला कर देते है. कभी थाने में रिपोर्ट देने कोई नहीं आया है. थाने के अभिलेखों के अनुसार रतनगढ़ थाने का कोई भी अभियोग पंजीकृत नहीं है. हम अन्य गांवों में भी इसका उदाहरण देते हैं." 

1984 में दर्ज हुआ ता आखिरी केस

यह मॉडल इतना प्रभावी है कि आसपास के गांव इसे अपनाने की कोशिश कर रहे हैं. 1984 में एक पुरानी जमीन विवाद की आखिरी रिपोर्ट दर्ज हुई थी, उसके बाद से पूर्ण शांति का राज कायम है. रतनगढ़ की यह कहानी साबित करती है कि सच्ची प्रगति बाहरी हस्तक्षेप से नहीं, बल्कि आंतरिक एकता से आती है. सरकार द्वारा ऐसे गांवों को पुरस्कृत करने की मांग भी उठ रही है. क्या आपका गांव भी ऐसी मिसाल बन सकता है? यह गांव न केवल यूपी, बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा स्रोत है