उत्तर प्रदेश में भीषण बिजली कटौती ने जनता को हलकान कर रखा है. कई क्षेत्रों में दिन में महज तीन से चार घंटे बिजली मिल रही है. इस बीच, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे जनता की शिकायतों पर ठोस जवाब देने के बजाय “जय श्रीराम, जय हनुमान” का जयकारा लगाकर अपनी गाड़ी में बैठकर चले गए. यह घटना प्रदेश की बिजली व्यवस्था की बदहाली को उजागर कर रही है.
सूरापुर में फूटा जनता का गुस्सा
यह मामला बुधवार का है, जब एके शर्मा जौनपुर से सुल्तानपुर जा रहे थे. सूरापुर कस्बे में व्यापारियों ने उन्हें रोककर बिजली कटौती की शिकायत की. व्यापारियों ने बताया कि कस्बे में केवल तीन घंटे बिजली दी जा रही है और SDO ने बोर्ड पर समय तय कर दिया है कि बिजली सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक ही मिलेगी. व्यापारियों ने एक ज्ञापन सौंपकर सब स्टेशन की क्षमता बढ़ाने, पुराने तार बदलने और बाजार फीडर को गांव से अलग करने की मांग की. जवाब में शर्मा ने पहले “ठीक है, देखते हैं” कहा, फिर “जय श्रीराम-जय हनुमान” का नारा लगाकर मौके से रवाना हो गए.
क्या बात है शर्मा जी जय श्री राम बोलकर जनता के सवालों पर विराम लगा दिया।
— Thakur Saurabh Singh (@Saurabh737475) July 10, 2025
जनता- सर कुछ कीजिए बिजली सिर्फ 3 घंटा मिल रही है
UP Power Minister AK Sharma- जय श्रीराम,जय बजरंगबली। pic.twitter.com/hjQg87yP3F
विपक्ष का तीखा हमला
आम आदमी पार्टी ने इस वीडियो को शेयर करते हुए तंज कसा, “यह यूपी के ऊर्जा मंत्री और प्रधानमंत्री मोदी के खास एके शर्मा जी हैं. जनता बिजली कटौती से बेहाल होकर अपनी पीड़ा सुना रही है, और मंत्री जी समस्या सुनकर ‘जय श्रीराम’ कहते हुए गाड़ी में बैठकर भाग निकले. क्या सिर्फ जयकारे से दूर होगी अंधेरे की पीड़ा?” सूरापुर व्यापार मंडल के अध्यक्ष वीके अग्रहरि ने कहा कि उन्होंने चार सूत्रीय मांग पत्र दिया, लेकिन मंत्री ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया.
कांग्रेस बोली- पिछले 10 सालों में एक नया विद्युत संयत्र नहीं
प्रदेश में गर्मी और उमस के बीच बिजली कटौती ने जनजीवन को प्रभावित किया है. यूपी कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे में सिर्फ 3 घंटे बिजली आ रही है. विद्युत व्यवस्था बदहाल है, लेकिन भाजपा सरकार सिर्फ मंचों से दावे कर रही है.” उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों में योगी सरकार ने नया विद्युत उत्पादन संयंत्र नहीं लगाया और निजीकरण के जरिए उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाने की कोशिश हो रही है.