पद्मश्री हॉकी खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद के वाराणसी स्थित घर पर चला बुलडोजर, सामने आया वीडियो
वाराणसी में पद्मश्री से सम्मानित ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद का घर सड़क चौड़ीकरण अभियान के तहत आंशिक रूप से ढहा दिया गया. परिवार का कहना है कि उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला.
भारत के महान हॉकी खिलाड़ियों में गिने जाने वाले और 1980 मास्को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम के सदस्य रहे मोहम्मद शाहिद का वाराणसी स्थित घर रविवार को बुलडोजर की चपेट में आ गया. यह कार्रवाई सड़क चौड़ीकरण अभियान के तहत की गई, लेकिन शाहिद के परिवार ने आरोप लगाया कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था और मुआवजा दिए उनका घर तोड़ दिया गया. वहीं, प्रशासन का कहना है कि क्षतिपूर्ति पहले ही दी जा चुकी है और जिनके मामले कोर्ट में लंबित हैं, उनके हिस्से को नहीं छेड़ा गया.
शाहिद की भाभी नाजनीन ने कहा कि उनके पास कोई दूसरा मकान नहीं है और अब परिवार सड़क पर आने को मजबूर हो जाएगा. उन्होंने बताया कि अक्टूबर में परिवार में शादी है, लेकिन अचानक हुए इस विध्वंस ने सब कुछ बिगाड़ दिया है. वहीं, शाहिद के चचेरे भाई मुश्ताक ने आरोप लगाया कि जिस इलाके में उनका घर है, वहां सड़क चौड़ीकरण की सीमा 25 मीटर रखी गई, जबकि अन्य जगहों पर यह केवल 21 मीटर तक ही सीमित है.
प्रशासन ने मामले में क्या कहा?
वाराणसी एडीएम (सिटी) आलोक वर्मा ने स्पष्ट किया कि अभियान केवल उन्हीं मकानों पर चलाया जा रहा है, जिनके मालिकों को क्षतिपूर्ति मिल चुकी है. उन्होंने बताया कि शाहिद के घर में कुल नौ लोग रहते थे, जिनमें से छह को मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि तीन ने कोर्ट से स्टे ऑर्डर ले रखा है, इसलिए उनके हिस्से को नहीं तोड़ा गया. एडीएम ने यह भी कहा कि परिवार से आधार और बैंक खाते की जानकारी मांगी गई थी, लेकिन उन्होंने दस्तावेज समय पर जमा नहीं किए.
कांग्रेस ने सरकार पर बोला हमला
मामले ने सियासी रंग भी पकड़ लिया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने भाजपा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह केवल एक घर नहीं था, बल्कि देश की खेल धरोहर का प्रतीक था. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार काशी की धरती पर प्रतिभा और सम्मानित हस्तियों का अपमान कर रही है और जनता उन्हें माफ नहीं करेगी.
खेल धरोहर पर चोट
मोहम्मद शाहिद को भारतीय हॉकी का जादूगर माना जाता है. उनके घर को लेकर उठे विवाद ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या देश अपने खेल नायकों की विरासत को सुरक्षित रखने में नाकाम हो रहा है. एक ओर प्रशासन मुआवजा देने का दावा कर रहा है, वहीं परिवार खुद को बेसहारा मान रहा है.