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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में जारी रहेगी पूजा, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Gyanvapi Case: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाते हुए व्यास तहखाने में पूजा जारी रखने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया है.

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Gyanwapi Pooja

Gyanvapi Case Verdict: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एक तहखाने में पूजा करने के वाराणसी जिला अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल  की सिंगल बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने वाराणसी जिला जज के 31 जनवरी के पूजा शुरू कराए जाने के आदेश को सही करार दिया. हाईकोर्ट के इस आदेश से व्यास तहखाने में पूजा जारी रहेगी. 

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें जिला अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित व्यास जी का तहखाना में हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई थी. 

जिला अदालत के फैसले को हाईकोर्ट ने ठहराया जायज 

वाराणसी जिला अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि इलहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पूजा पहले की तरह जारी रहेगी. हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने की वजह से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है. इससे पहले हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के बीच लंबी बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

हिंदू पक्ष के वकील वकील विष्णु शंकर जैन का बड़ा बयान 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मुस्लिम पक्ष की ओर से प्रस्तुत तर्क कमजोर प्रतीत होते हैं. जिला न्यायाधीश के फैसले को आगे भी बरकरार रखा जाएगा. हिंदू पक्ष के वकील वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा "आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया के आदेशों की पहली अपील को खारिज कर दिया है. ज्ञानवापी परिसर के व्यास तहखाना में चल रही पूजा जारी रहेगी. अगर अंजुमन इंतजामिया सुप्रीम कोर्ट जाती है, तो हम सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी कैविएट दाखिल करेंगे."

जानें इलहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा? 

मंदिर पक्ष ने तर्क दिया कि अदालत के पास धारा 151 और 152 के तहत न्याय के हित में आदेश पारित करने की अंतर्निहित शक्ति है. उन्होंने कहा कि जिला न्यायाधीश ने आवेदन पर तीन बार सुनवाई की थी और मस्जिद पक्ष ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी. जिस पर अदालत ने कहा कि जिला जज ने कोई नया अधिकार नहीं दिया है और आदेश कानूनी प्रक्रिया के तहत पारित किया गया है. अदालत ने  दीन मोहम्मद मामले में व्यास तहखाने का उल्लेख किया गया था, जिसमें जितेंद्र व्यास के पूजा करने के अधिकार को स्वीकार किया गया था. मस्जिद पक्ष की ओर से दलील दी गई कि पूजा के अधिकार के लिए दायर सिविल मुकदमे में अधिकार तय किए बिना पूजा की इजाजत देना कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है. उन्होंने यह भी कहा कि जिला न्यायाधीश ने दो विरोधाभासी आदेश पारित किये हैं.

वाराणसी जिला अदालत ने व्यास तहखाने में मामले में बड़ा फैसला देते हुए जिला मजिस्ट्रेट को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से पुजारी की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया था. इसके बाद मस्जिद कमेटी ने वाराणसी कोर्ट के आदेश के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी. दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 15 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद आज बड़ा फैसला सुनाया है.