राजधानी लखनऊ में पुलिस ने बुधवार देर रात एक ऐसे जालसाज को पकड़ लिया, जिसने खुद को आईएएस अफसर बताकर लोगों को लंबे समय से गुमराह कर रखा था. वजीरगंज इलाके में चेकिंग के दौरान नीली बत्ती लगी फॉर्च्यूनर लीजेंडर कार रोकने पर जब यह फर्जी अफसर भड़क उठा, तो पुलिस को शक हुआ. आगे की जांच में उसकी असलियत खुली और पता चला कि वह शख्स कोई अधिकारी नहीं, बल्कि लग्जरी जीवन जीने वाला धोखेबाज है.
सौरभ त्रिपाठी नामक यह जालसाज अपनी हर गाड़ी पर सचिवालय और विधानसभा पास लगाकर घूमता था. इतना ही नहीं, उसने गाड़ियों पर लाल-नीली बत्ती भी लगा रखी थी ताकि लोग उसे सीनियर आईएएस समझें. जब पुलिस ने उसे रोका तो उसने रौबदार अंदाज में खुद को भारत सरकार का संयुक्त सचिव बताया. पहले तो सिपाही और दरोगा उसके दबाव में आ गए, लेकिन वजीरगंज इंस्पेक्टर ने गाड़ी में रखी फ्लैशर लाइट देख संदेह जताया और गहराई से पूछताछ शुरू की.
पुलिस ने जब उससे सवाल-जवाब किया तो उसने राज्य के कई सीनियर आईएएस अफसरों के नाम गिनाकर दबाव बनाने की कोशिश की और अंजाम भुगतने की धमकी भी दी. लेकिन तलाशी के दौरान उसका झूठ खुल गया. उसके पर्स से आठ बैंक कार्ड मिले जिनमें अलग-अलग नाम लिखे थे, किसी पर प्रेम कुमार मिश्रा, किसी पर प्रतीक दुबे तो किसी पर सौरभ त्रिपाठी. इससे साफ हो गया कि वह लंबे समय से अलग-अलग पहचान के सहारे ठगी का खेल खेल रहा था.
पुलिस ने आरोपी के पास से इनोवा, मर्सिडीज और डिफेंडर जैसी छह महंगी गाड़ियां बरामद की हैं. सभी गाड़ियों पर सचिवालय पास लगे हुए थे, जिनकी वैधता की अब जांच की जा रही है. यही नहीं, आरोपी लखनऊ की महंगी सोसाइटी में फ्लैट लेकर रहता था और आलीशान जीवनशैली जीता था. फिलहाल, पुलिस उसकी पूरी ठगी की कहानी खंगाल रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने सचिवालय पास और अन्य दस्तावेज कहां से हासिल किए.
लखनऊ पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और उसके नेटवर्क की छानबीन शुरू कर दी है. अधिकारी मानते हैं कि इस तरह की घटनाएं न केवल सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि सरकारी तंत्र की साख को भी नुकसान पहुंचाती हैं. पुलिस अब आरोपी से पूछताछ कर यह जानने का प्रयास कर रही है कि उसने किन-किन लोगों को अपना शिकार बनाया और उसके पीछे कोई संगठित गैंग तो नहीं है.