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Sambhal Violence: '3000 लोगों की भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू कर दी', कैसे शुरू हुई संभल हिंसा? रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

लगभग 9 बजे मस्जिद के बाहर एक भीड़ जमा हो गई कथित तौर पर नारे लगा रही थी और पुलिस कर्मियों पर पथराव कर रही थी. पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज के साथ जवाब दिया, लेकिन स्थिति तब बिगड़ गई जब भीड़ ने कथित तौर पर पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी और वाहनों को आग लगा दी.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Sambhal violence
Courtesy: Social Media

संभल में मुगलकालीन जामा मस्जिद में रविवार सुबह कोर्ट द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसक झड़पों में तीन लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. घायलों में  20 पुलिसकर्मी शामिल हैं. गोलीबारी में घायल हुए एक पुलिस अधिकारी सहित तीन लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है.

सर्वेक्षण का आदेश वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर याचिका के बाद दिया गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि मस्जिद मूल रूप से एक मंदिर थी. कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह की देखरेख में और जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया, एसपी कृष्ण कुमार और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम द्वारा किया गया सर्वेक्षण सुबह 7 बजे शुरू हुआ और शुरू में शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा. लगभग 9 बजे, मस्जिद के बाहर एक भीड़ जमा हो गई कथित तौर पर नारे लगा रही थी और पुलिस कर्मियों पर पथराव कर रही थी. पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज के साथ जवाब दिया, लेकिन स्थिति तब बिगड़ गई जब भीड़ ने कथित तौर पर पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी और वाहनों को आग लगा दी.

2,000-3,000 लोगों की भीड़ इकट्ठा थी 

संभागीय आयुक्त औंजनेय सिंह ने घटना के बारे में बताया कि सर्वेक्षण दो घंटे तक शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहा, लेकिन लगभग 9 बजे 2,000-3,000 लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई और सुरक्षा के लिए तैनात पुलिसकर्मियों पर पथराव करना शुरू कर दिया. आंसू गैस और लाठीचार्ज से उन्हें तितर-बितर करने के शुरुआती प्रयासों के बावजूद, भीड़ ने अपना हमला तेज कर दिया और पास के घरों से गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे एसपी के पीआरओ, एसडीएम रमेश बाबू और सर्कल अधिकारी अनुज चौधरी सहित कई अधिकारी घायल हो गए जिन्हें गोली के छर्रे लगे. सिंह ने कहा कि हिंसा के दौरान एसडीएम की हड्डी टूट गई और एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए.

वाहनों में आग लगा दी गई और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पड़ोसी जिलों से अतिरिक्त सुरक्षा बलों को बुलाया गया. सर्वेक्षण दल को इलाके से सुरक्षित निकाल लिया गया और रविवार शाम तक जिले में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं. मरने वालों की पहचान मोहम्मद नईम, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद नौमान के रूप में हुई है, जो सभी संभल के निवासी हैं.

पीड़ित ने लगाया पुलिस पर आरोप

बिलाल के छोटे भाई ने कहा कि मेरे भाई को सर्कल ऑफिसर अनुज चौधरी ने गोली मार दी. हमने उसे मेरे भाई पर निशाना साधते देखा. हम सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं. सिंह ने दावों को खारिज करते हुए कहा कि हमारे पास घटना के वीडियोग्राफिक सबूत हैं. अगर परिवार मानता है कि उनका बेटा भीड़ का हिस्सा था, तो उन्हें इस बात पर विचार करना चाहिए कि वह पत्थर क्यों फेंक रहा था. पुलिस ने सर्वेक्षण दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने और व्यवस्था बहाल करने के लिए दोनों तरफ से गोलीबारी का जवाब दिया.

सर्वेक्षण से पहले मिली थी हिंसा की इनपुट

एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है. जिम्मेदार लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोप लगाए जाएंगे. हम निवासियों से हिंसा से बचने और न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा करने की अपील करते हैं. मंगलवार को भी इसी तरह का सर्वेक्षण शांतिपूर्ण तरीके से किया गया था, जिसमें पुलिस और मस्जिद की प्रबंधन समिति के सदस्य मौजूद थे. खुफिया इनपुट के बाद असामाजिक तत्वों द्वारा संभावित व्यवधानों की चेतावनी के बाद अधिकारियों ने शुक्रवार की नमाज के लिए भारी सुरक्षा तैनात की थी. मस्जिद की प्रबंधन समिति ने भी हिंसा की निंदा की.