जयपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा अगर शक्ति हो तो दुनिया प्रेम की भाषा भी सुनती है. उन्होंने अपने भाषण में भारत की प्राचीन संस्कृति और त्याग की भावना को याद दिलाते हुए कहा कि भारत के इतिहास में भगवान श्रीराम से लेकर भामासाह जैसे महान शख्सियतों ने त्याग व सेवा की मिसाल पेश की है.
विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य
#WATCH | Jaipur, Rajasthan | RSS chief Mohan Bhagwat says, "...India will progress in every field; it should. India doesn't have enmity with anyone, but if someone dares, India has the strength to teach them a lesson; it should have this strength. India does things which are… pic.twitter.com/3gkYiyoZiE
— ANI (@ANI) May 17, 2025
विश्व में शांति और सौहार्द की दिशा में प्रयासरत
मोहन भागवत ने कहा कि भारत विश्व में शांति और सौहार्द कायम करने की दिशा में प्रयासरत है. उन्होंने कहा कहा कि हम किसी से द्वेष नहीं रखना चाहते लेकिन जब तक आपके पास शक्ति नहीं होगी तब तक विश्व प्रेम और मंगल की भाषा नहीं समझेगा. इसलिए विश्व कल्याण केलिए शक्ति का होना आवश्यक है और विश्व ने हमारी ताकत देखी है.
शक्ति ही एकमात्र माध्यम
मोहन भागवत ने कहा कि शक्ति ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जिसके दम पर भारत पूरे विश्व के सामने अपनी बात प्रभावी ढंग से रख सकता है और शक्ति होने पर ही अपनी सांस्कृतिक विरासत का प्रसार किया जा सकता है. मोहन भागवत ने कहा कि ये स्वभाव विश्व का है और इसे बदला नहीं जा सकता. संत समाज की भूमिका की प्रशंसा करते हुए भागवत ने कहा कि ऋषि परंपरा का निर्वहन करते हुए संस्कृति और धर्म की रक्षा कर रहे हैं.