राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार (11 जून) को दावा किया कि उनके और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच कभी कोई दूरी नहीं थी. दरअसल, जुलाई 2020 में पायलट और 18 कांग्रेस विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी, जिससे एक महीने का राजनीतिक संकट पैदा हुआ था. इस संकट का समाधान तब हुआ जब कांग्रेस नेतृत्व ने पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने स्वर्गीय राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर आयोजित एक समारोह में कहा, “हम कब अलग हुए? हम हमेशा साथ हैं और बहुत प्यार बांटते हैं. यह केवल मीडिया है जो कहता है कि हमारे बीच दूरी है.”
पांच साल बाद मंच पर एकजुटता
सचिन पायलट ने शनिवार को जयपुर में गहलोत के आवास पर उनसे मुलाकात की और उन्हें इस समारोह में आमंत्रित किया. यह 2020 की बगावत के बाद दोनों नेताओं की पहली ऐसी मुलाकात थी, जो राजस्थान कांग्रेस में सुलह का संकेत देती है. बुधवार को गहलोत और पायलट ने दौसा में स्वर्गीय राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर पहली बार पांच साल बाद एक मंच साझा किया. समारोह में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विपक्ष के नेता टीकाराम जूली, पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, सांसद हरीश चौधरी और मुरारी लाल मीणा सहित अन्य नेता मौजूद थे.
गहलोत ने कहा, “राजेश पायलट हमें बहुत जल्दी छोड़कर चले गए, और उनके जाने का दर्द हमेशा बना रहेगा. हम आज भी उनका प्यार याद करते हैं. हमने उन्हें श्रद्धांजलि दी. हम 18 साल तक संसद सदस्य के रूप में साथ रहे.”
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह
पायलट के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस नेता वेद प्रकाश सोलंकी ने इस दिन को राजस्थान और पार्टी के लिए ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा, “कई सालों से बंटे हुए पार्टी कार्यकर्ता इस मुलाकात के बाद एकजुट होकर मुस्कुराए. हम हमेशा पायलट के साथ खड़े रहे. दौसा में सभी सच्चे कांग्रेस कार्यकर्ता इस निमंत्रण को स्वीकार कर दोनों नेताओं को एक साथ देखने आए. वे कांग्रेस को फिर से एकजुट देखना चाहते थे.”
पायलट के एक अन्य समर्थक और पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा, “दो शीर्ष नेताओं का एक मंच पर आना अच्छा है. हम इस पल का इंतजार कर रहे थे. पार्टी के भीतर किसी भी तरह का मतभेद ठीक नहीं है. इस एकता के साथ कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी.
2020 का संकट और आरोप-प्रत्यारोप
बता दें कि, साल 2020 में गहलोत और पायलट के बीच तनाव तब चरम पर पहुंचा जब पायलट ने बगावत की. कांग्रेस नेतृत्व ने दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन मतभेद बने रहे. पिछले साल 25 मई को गहलोत ने कहा, “यह चमत्कार था कि मेरी सरकार ने पूरे पांच साल पूरे किए. हम सभी जानते हैं कि कुछ लोगों ने सरकार गिराने की कोशिश की. हाईकमान के आशीर्वाद और आपकी प्रार्थनाओं से मैंने पांच साल पूरे किए.”
गहलोत ने 2020 के संकट के दौरान विधायकों पर “पैसे लेने” का आरोप लगाया और कहा, “जिन विधायकों ने पैसे लिए, वे कृपया इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को वापस करें. अगर वे ऐसा नहीं करेंगे, तो वे हमेशा शाह के दबाव में रहेंगे.” पायलट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी बगावत गहलोत की कार्यशैली के खिलाफ थी, न कि पैसे से प्रेरित.
सुलह की ओर कदम
28 अप्रैल को दोनों नेता जयपुर हवाई अड्डे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के स्वागत के लिए एक साथ दिखे. अप्रैल में वे राजस्थान कांग्रेस इकाई के नेताओं के साथ अहमदाबाद भी गए. मई 2023 में पायलट ने भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को उठाने के लिए अजमेर से जयपुर तक पांच दिवसीय पदयात्रा की थी. उन्होंने गहलोत पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई न करने और पार्टी नेतृत्व के प्रति वफादारी पर सवाल उठाए. पायलट ने गहलोत के धोलपुर भाषण का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं, बल्कि उनकी पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे हैं.