पंजाब में कालाबाजारी पर सख्त शिकंजा, मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने बाढ़ प्रभावित गांवों के बाजारों का किया निरीक्षण

पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में काला बाज़ारी और जमाखोरी के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हुए सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है. कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल खुद गांव-गांव जाकर दुकानदारों और व्यापारियों से मिले और चेतावनी दी कि ज़रूरी सामानों पर मुनाफाखोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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Kuldeep Sharma

बाढ़ की मार झेल रहे पंजाब के गांवों में जहां लोग राहत और सहारे की उम्मीद लगाए बैठे हैं, वहीं कई जगहों पर कालाबाज़ारी और जमाखोरी से लोगों की मुश्किलें और बढ़ रही हैं. इस पर लगाम लगाने के लिए पंजाब सरकार ने मोर्चा संभाल लिया है.

कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने अजनाला और आसपास के प्रभावित गांवों में जाकर खुद बाजारों का निरीक्षण किया और साफ संदेश दिया कि ऐसे वक्त में मुनाफाखोरी करने वालों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.

काला बाज़ारी पर सीधी चेतावनी

अजनाला के व्यस्त बाजारों में खड़े होकर मंत्री धालीवाल ने दुकानदारों से दो टूक कहा कि लोगों की तकलीफों को बढ़ाने वाले किसी भी व्यापारी पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी. उन्होंने पंजाबी में सभी को समझाया – “काला बाज़ारी से बचो, नहीं तो दुकान सील होगी, लाइसेंस रद्द होगा और मुकदमा दर्ज होगा.” पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी ने उनके संदेश को और मजबूत किया.

निरीक्षण में उजागर हुई शिकायतें

निरीक्षण के दौरान आम लोगों ने मंत्री के सामने खुलकर शिकायतें रखीं. कई जगह चारे, राशन और दवाइयों की जमाखोरी की बातें सामने आईं. किसान मज़दूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि बाढ़ का फायदा उठाकर व्यापारी दाम कई गुना बढ़ा रहे हैं. उदाहरण के तौर पर 25 किलो का चारा पैकेट, जिसकी कीमत 550 रुपये थी, अब 630 रुपये में बेचा जा रहा है. यही नहीं, राहत कार्यों में इस्तेमाल होने वाली नावों की कीमतें भी दोगुनी-तिगुनी कर दी गई हैं.

नावों और जरूरी सामान की आसमान छूती कीमतें

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया कि अमृतसर, रोपड़ और चंडीगढ़ में नावों की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है. लकड़ी की नाव जो पहले 30,000 रुपये में मिलती थी, अब 60,000 रुपये में बेची जा रही है. फाइबर और रबर की नावों की कीमतें 30-40 हजार रुपये से बढ़कर 80 हजार रुपये तक पहुंच गई हैं, जबकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर यही नावें 2.5 लाख रुपये में बेची जा रही हैं. इसी तरह जनरेटर, पेट्रोल और दूसरी जरूरी वस्तुओं के दाम भी अचानक दोगुने कर दिए गए हैं, जिससे बाढ़ग्रस्त लोग और गहरे संकट में फंस गए हैं.

सरकार का ज़ीरो टॉलरेंस रुख

इन हालातों को देखते हुए सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी तरह की जमाखोरी और मुनाफाखोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. धालीवाल ने ऐलान किया कि प्रशासनिक टीमें रोजाना छापेमारी और गुप्त जांच करेंगी. जिन पर भी गड़बड़ी साबित होगी, उनकी दुकान सील होगी और लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. उपभोक्ताओं की शिकायत सुनने के लिए 24x7 हेल्पलाइन भी शुरू की गई है ताकि पीड़ित लोग तुरंत अपनी समस्या दर्ज करा सकें.

जनता का भरोसा और राहत उपाय

धालीवाल की सख्त कार्रवाई ने लोगों में नया भरोसा जगाया है. प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी सरकार ने इतने सीधे और तेज़ तरीके से काला बाज़ारी पर कार्रवाई की है. मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी टीम को भी सराहना मिल रही है कि उन्होंने सिर्फ चेतावनी देकर रुकने के बजाय तुरंत कार्रवाई की और राहत शिविरों तक सस्ती दरों पर सामान पहुंचाने की व्यवस्था की.

ईमानदारी ही बनेगी पहचान

धालीवाल की टीम ने साफ कहा है कि चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, अगर वह काला बाज़ारी में लिप्त पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा. आने वाले दिनों में भी नियमित पेट्रोलिंग और जांच जारी रहेगी. सरकार का संदेश साफ है – मौजूदा संकट में हर दुकानदार और व्यापारी का फर्ज है कि वह लोगों की मदद करे, न कि उनकी तकलीफों का फायदा उठाए. यह अभियान एक बड़ी चेतावनी है कि अब ईमानदारी और पारदर्शिता ही बाजार की असली पहचान होगी.