प्राकृतिक आपदा की इस कठिन घड़ी में पंजाब सरकार ने जनता के साथ खड़े होकर दिखाया है कि सच्चा नेतृत्व सिर्फ़ भाषणों में नहीं बल्कि कार्यों में नज़र आता है. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई में चल रहा बाढ़ राहत अभियान न केवल प्रभावित परिवारों के लिए मददगार साबित हुआ है, बल्कि इसने राज्य की राजनीति में सेवा और समर्पण का एक अलग ही अध्याय लिख दिया है.
बाढ़ से प्रभावित इलाकों में सरकार ने तुरंत राहत और पुनर्वास कार्य शुरू कर दिया. अब तक 15,688 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है और 7,144 लोगों को राहत शिविरों में आश्रय मिला है. 1,044 गांवों में बाढ़ का असर देखा गया, जहां 2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए. मुख्यमंत्री मान ने खुद गुरदासपुर, सुल्तानपुर लोधी और पठानकोट जैसे इलाकों में जाकर हालात का जायज़ा लिया और प्रभावित परिवारों को भरोसा दिलाया कि किसी को भी असहाय नहीं छोड़ा जाएगा और हर नुकसान की भरपाई की जाएगी.
इस बार सबसे बड़ी खासियत यह रही कि सरकार ने औपचारिकता से आगे बढ़कर सीधे जनता के बीच जाकर काम किया. मुख्यमंत्री ने पैदल गांवों में जाकर बातचीत की और मौके पर ही समाधान निकाला. मंत्रियों ने भी राहत अभियान को मानवीय रूप दिया—फ़ूड और सप्लाई मंत्री लालचंद कटारूचक बाइक से बॉर्डर के अंतिम गांवों तक पहुंचे, राजस्व मंत्री हरदीप मुंडियां ने घर-घर जाकर समस्याएं सुनीं, शिक्षा मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने ग्रामीणों संग नंगे पांव राहत कार्यों में हिस्सा लिया, और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने राहत सामग्री खुद रवाना की.
इतिहास में पहली बार पंजाब सरकार के सभी मंत्रियों ने अपनी एक महीने की सैलरी राहत कोष में दान कर दी. मुख्यमंत्री से लेकर हर मंत्री तक ने यह दिखाया कि आम आदमी पार्टी की सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि संकट की घड़ी में जनता की सेवा के लिए हर संभव त्याग करने को तैयार है. यह कदम जनता के बीच गहरा भरोसा जगाने वाला साबित हुआ.
राहत सामग्री और इनोवेटिव कदम
राहत अभियान में केवल भौतिक सहायता ही नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक सहयोग पर भी ज़ोर दिया गया. अब तक 3200 से अधिक राशन किट, 17,000 फूड पैकेट और 45,000 पानी की बोतलें वितरित की गईं. पशुओं के लिए 700 क्विंटल सूखा चारा और 1450 फीड बैग की व्यवस्था की गई. साथ ही, सामुदायिक रसोई, बच्चों के लिए काउंसलिंग, 24 घंटे सक्रिय हेल्पलाइन और राहत सामग्री की डिजिटल ट्रैकिंग जैसी सुविधाओं ने यह साबित किया कि यह सरकार आधुनिकता और संवेदनशीलता का संतुलन साधते हुए काम कर रही है.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट किया कि प्रभावित परिवारों को 15 दिन के भीतर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से मुआवज़ा मिलेगा. इसके लिए गिरदावरी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि यह राहत अभियान राजनीति से ऊपर उठकर केवल मानवता की सेवा का उदाहरण है. पंजाब की जनता गर्व से कह सकती है कि उन्हें ऐसी सरकार मिली है, जो संकट की घड़ी में हर कदम पर उनके साथ खड़ी है.