चंडीगढ़: मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई में पंजाब सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ अभियान ने राज्य में एक नई उम्मीद जगाई है. नशे की दलदल में फंसे युवा आज फिर से जीवन की मुख्यधारा में लौट रहे हैं.
सरकार ने न सिर्फ नशा तस्करों पर शिकंजा कसा है, बल्कि नशा छोड़ चुके युवाओं को रोजगार, प्रशिक्षण और आत्मनिर्भरता का मजबूत आधार भी दिया है. इसी सोच के तहत जगरांव के पुनर्वास केंद्र में युवाओं के लिए खास कौशल प्रशिक्षण शुरू किया गया है.
पंजाब पुलिस ने 1 मार्च 2025 से छेड़े गए अभियान के तहत अब तक 26,256 केस दर्ज किए हैं और 38,687 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने 1714 किलोग्राम से अधिक हेरोइन सहित बड़े पैमाने पर नशीला पदार्थ ज़ब्त किया है. सरकार का स्पष्ट संदेश है—नशे का व्यापार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस लड़ाई को पूरी मजबूती के साथ आगे बढ़ाया जाएगा.
सरकार सुधार की दिशा में समानांतर प्रयास कर रही है. लुधियाना प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग और डेयरी विकास विभाग के साथ मिलकर जगरांव के सरकारी पुनर्वास केंद्र में 10 दिन का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है. इसका उद्देश्य नशा छोड़ने वाले युवाओं को हुनर सिखाकर रोजगार के अवसर देना है, ताकि वे आर्थिक मुश्किलों के कारण दोबारा गलत रास्ते पर न लौटें.
उद्घाटन के अवसर पर डेयरी विकास विभाग के उप निदेशक सुरिंदर सिंह ने युवाओं को डेयरी फार्मिंग से जुड़े व्यावहारिक काम सिखाए. उपायुक्त हिमांशु जैन ने इसे “पूरा सुधार” मॉडल का अहम हिस्सा बताया. प्रशासन का मानना है कि कौशल आधारित प्रशिक्षण युवाओं को आत्मविश्वास देता है, जिससे वे खुद का काम शुरू कर सकें और स्थायी कमाई के साथ सम्मानजनक जीवन जी सकें.
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद काबिल प्रतिभागियों को सरकारी योजनाओं के तहत छोटी डेयरी यूनिट शुरू करने के लिए बैंक लोन और आर्थिक सहयोग भी दिया जाएगा. यह कार्यक्रम सिविल सर्जन डॉ. रमनदीप कौर, एलडीएम गुरदेव सिंह कंग और केंद्र प्रभारी डॉ. विवेक गोयल की देखरेख में चल रहा है. अधिकारियों का कहना है कि यह पहल युवाओं को आर्थिक सुरक्षा देने में बेहद कारगर साबित होगी.
सरकार का मानना है कि नशा मुक्त समाज सिर्फ कार्रवाई से नहीं, बल्कि अवसरों से भी बनता है. यही वजह है कि अभियान नशाखोरी खत्म करने के साथ-साथ युवाओं को नई पहचान भी दे रहा है. रोजगार, हुनर और सम्मान—इन तीन स्तंभों पर आधारित यह मॉडल पंजाब की अगली पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य देने का प्रयास है. यह पहल न केवल युवाओं को बचा रही है, बल्कि समाज में उम्मीद और सकारात्मकता की नई हवा भी भर रही है.