MP Mosque Dispute: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक मस्जिद में बिहार से आए इमाम को बिना पुलिस को सूचना दिए ठहराया गया था. यह मामला 9 सितंबर को सामने आया था जिसके बाद पुलिस ने मस्जिद के सदर और इमाम के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया. अब इस मामले पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए हैं. वहीं पुलिस का कहना है कि बाहरी व्यक्ति को ठहराने से पहले स्थानीय थाने को सूचना देना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
पुलिस ने इस मामले में मस्जिद के सदर हाजी हनीफ खान और बिहार के इमाम अख्तर रजा के खिलाफ धारा 188 (सरकारी आदेश की अवहेलना) के तहत केस दर्ज किया है. पुलिस अधीक्षक (एसपी) मनोज कुमार राय ने बताया कि जिले में धारा 144 लागू है. ऐसे में किसी भी बाहरी व्यक्ति के रुकने की जानकारी प्रशासन को देना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जिला दंडाधिकारी के आदेशों का पालन न करने पर यह कार्रवाई की गई है.
खंडवा की मस्जिद में बिहार के इमाम की नियुक्ति पर केस दर्ज करना, Article 19 का उल्लंघन है। pic.twitter.com/HI97g1xTFD
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 14, 2025Also Read
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मामले के तूल पकड़ने पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर खंडवा पुलिस के कदम को असंवैधानिक करार दिया. उन्होंने कहा कि एसपी को संविधान का अनुच्छेद 19 पढ़ना चाहिए. यह अनुच्छेद नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है. ओवैसी ने कहा कि बिहार से आए एक इमाम का मस्जिद में रुकना अपराध कैसे हो सकता है.
ओवैसी ने खंडवा पुलिस पर भेदभाव का आरोप भी लगाया. उन्होंने सवाल किया कि क्या सिर्फ मुसलमान होने की वजह से यह केस दर्ज किया गया. ओवैसी ने कहा कि एसपी को बताना चाहिए कि बीएनएस की धारा 223 बड़ी है या संविधान का अनुच्छेद 19. उन्होंने कहा कि संविधान के मूलभूत अधिकारों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जा सकती.
पुलिस ने अपने तर्क में कहा कि यह कार्रवाई नियमों के अनुसार हुई है. खंडवा के एसपी ने साफ कहा कि जिले में सुरक्षा कारणों से धारा 144 लागू है और किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने की सूचना देना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि अक्सर लोग नियमों का पालन नहीं करते और प्रशासन को जानकारी नहीं देते कि उनके यहां कौन ठहर रहा है. इसीलिए यह कार्रवाई की गई है.