Diwali Injuries 2025: हर दिवाली पटाखों का एक नया चलन लेकर आती है, चकरी से लेकर रॉकेट और फुलझड़ियां तक, लेकिन इस साल इसका क्रेज जानलेवा हो गया है. तथाकथित कार्बाइड गन या देसी पटाखा गन, जिसे बच्चे दिवाली की सबसे ज़रूरी चीज कह रहे हैं, माता-पिता और डॉक्टरों के लिए एक बुरा सपना बनकर उभरी है. केवल तीन दिनों में मध्य प्रदेश में 122 से अधिक बच्चों को गंभीर आंखों की चोटों के साथ अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि 14 ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी है.
हर दिवाली पटाखों का एक नया चलन लेकर आती है, चकरी से लेकर रॉकेट और फुलझड़ियां तक, लेकिन इस साल इसका क्रेज़ जानलेवा हो गया है. तथाकथित कार्बाइड गन या देसी पटाखा गन, जिसे बच्चे दिवाली की सबसे ज़रूरी चीज़ कह रहे हैं, माता-पिता और डॉक्टरों के लिए एक बुरा सपना बनकर उभरी है.
केवल तीन दिनों में मध्य प्रदेश में 122 से अधिक बच्चों को गंभीर आंखों की चोटों के साथ अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि 14 ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी है.
सबसे अधिक प्रभावित जिला विदिशा है, जहां 18 अक्टूबर को सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद स्थानीय बाजारों में खुलेआम इन कच्ची "कार्बाइड बंदूकों" की बिक्री हो रही है. 150 से 200 रुपये की कीमत वाले इन अस्थायी उपकरणों को खिलौनों की तरह बनाया और बेचा जा रहा है, लेकिन ये बम की तरह फटते हैं.
हमीदिया अस्पताल में भर्ती सत्रह वर्षीय नेहा ने रोते हुए कहा, 'हमने घर में बनी कार्बाइड बंदूक खरीदी थी. जब वह फटी, तो मेरी एक आंख पूरी तरह जल गई. मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है.'
एक अन्य पीड़ित, राज विश्वकर्मा ने स्वीकार किया, 'मैंने सोशल मीडिया पर वीडियो देखा और घर पर पटाखा बंदूक बनाने की कोशिश की. यह मेरे चेहरे पर फट गई... और मैंने अपनी एक आंख खो दी.'
विदिशा पुलिस ने अवैध रूप से ये उपकरण बेचने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया है. इंस्पेक्टर आरके मिश्रा ने कहा, 'तत्काल कार्रवाई की गई है. इन कार्बाइड बंदूकों को बेचने या उनका प्रचार करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.'
भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के अस्पतालों में नेत्र वार्ड इन बंदूकों से घायल हुए युवा मरीजों से भरे पड़े हैं. अकेले भोपाल के हमीदिया अस्पताल में ही 72 घंटों में 26 बच्चे भर्ती हुए.
डॉक्टर अभिभावकों को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दे रहे हैं- यह कोई खिलौना नहीं, बल्कि एक तात्कालिक विस्फोटक है. कुछ रोगियों का इलाज आईसीयू में किया जा रहा है, तथा उनमें से कई को पूर्ण दृष्टि कभी प्राप्त नहीं हो सकेगी.
बताया जा रहा है कि बच्चे प्लास्टिक या टिन के पाइपों का उपयोग करके कार्बाइड बंदूक बना रहे हैं, उनमें बारूद, माचिस की तीलियों और कैल्शियम कार्बाइड भर रहे हैं, तथा एक छेद करके उसे जला रहे हैं - यह रासायनिक प्रतिक्रिया और जिज्ञासा का घातक मिश्रण है.
जब मिश्रण प्रज्वलित होता है, तो इससे एक भयंकर विस्फोट होता है, जो मलबे और जलती हुई गैस को उछालता है, जो अक्सर सीधे चेहरे और आंखों पर पड़ता है.
पुलिस का कहना है कि इन बंदूकों को स्थानीय मेलों और सड़क किनारे की दुकानों में मिनी तोपों के रूप में बेचा जा रहा है, और इनके लिए कोई सुरक्षा नियम नहीं हैं. इस खतरनाक ट्रेंड के पीछे असली वजह इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स हैं. 'फायरक्रैकर गन चैलेंज' नाम से टैग किए गए वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें किशोर लाइक्स और व्यूज़ के लिए बंदूकें चलाते दिख रहे हैं.