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Karnataka HC on RSS Route March: सिद्धारमैया सरकार को कर्नाटक हाई कोर्ट से झटका, RSS के चित्तपुर मार्च को मिली मंजूरी

Karnataka HC on RSS Route March: कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से RSS को बड़ी जीत मिली है. अदालत की ओर से चित्तपुर मार्च को मंजूरी दे दी गई है. राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक आरएसएस जैसे निजी समूहों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के लिए सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों के उपयोग पर रोक लगाए गए थे.

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Shanu Sharma

Karnataka HC on RSS Route March: कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से RSS के चित्तपुर मार्च को मंजूरी मिल गई है. चित्तपुर में 2 नवंबर को आयोजित की गई मार्च को लेकर गुलबर्गा पीठ ने आज यानी रविवार को अनुमति दे दी है. इसे पहले कानून और व्यवस्था की वजह से अस्वीकार कर दिया गया था. जिसे लेकर आरएसएस कलबुर्गी के संयोजक अशोक पाटिल याचिका दायर की थी. 

अशोक पाटिल द्वारा दायर की गई इस याचिका में अधिकारियों द्वारा मार्च निकालने के पूर्व अनुरोध पर कार्रवाई न करने को चुनौती दी गई थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम.जी.एस. कमल ने राज्य सरकार से पूछा कि वह इस तरह के आयोजनों को कैसे समायोजित और प्रबंधित करेगी? साथ ही उन्होंने सभी की भावनाओं का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया.

दायर याचिका में तारीख बदलने का अनुरोध 

कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे का निर्वाचन क्षेत्र चित्तपुर से आरएसएस के प्रस्तावित रूट मार्च की अनुमति को लेकर उठे विवाद में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की वजह से यह विवाद और भी ज्यादा बढ़ गया है. सबसे पहले यह मार्च 19 अक्टूबर को आयोजित की गई थी, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए इसकी अनुमति नहीं दी. जिसके बाद इस मामले को लेकर याचिका दायर करते हुए अशोक पाटिल के प्रतिनिधित्व द्वारा 2 नवंबर को वैकल्पिक तिथि के रूप में अनुरोध किया गया. 

राज्य सरकार ने दिए थे निर्देश

अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए  याचिकाकर्ता को जिला अधिकारियों के समक्ष आवेदन फिर से प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. वहीं अधिकारियों को पुनर्विचार करने का निर्देश दिया. अदालत ने 24 अक्टूबर के लिए आगे की सुनवाई भी निर्धारित की और राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि वह इस मामले को कैसे संभालेगी और साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि सभी की भावनाओं का सम्मान किया जाए. राज्य सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था जिसमें आरएसएस जैसे निजी समूहों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के लिए सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया था.