Karnataka Government vs RSS: कर्नाटक मंत्रिमंडल ने आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाने, सड़कों पर मार्च निकालने या सरकारी स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करने से रपकने के लिए नया नियम बनाने का फैसला किया है. जानकारी के मुताबिक, लॉ डिपार्टमेंट ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसके अनुसार सरकारी परिसर में किसी भी धार्मिक या राजनीतिक प्रोग्राम के लिए परमिशन लेना अनिवार्य होगा. डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर और सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस को परमिशन देने का विशेषाधिकार प्राप्त होगा.
दरअसल, यह निर्णय कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे पत्र के आधार पर लिया गया, जिसमें आरएसएस की गतिविधियों और उससे संबद्ध संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. ग्रामीण विकास और आईटी मंत्री ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि RSS सरकारी स्कूलों, खेल के मैदानों और मंदिरों में शाखाएं और सभाएं आयोजित करके बच्चों और युवाओं के बीच विभाजनकारी विचार फैला रहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री से इन प्रोग्राम्स पर पूरी तरह से बैन लगाने का आग्रह किया और इन्हें असंवैधानिक और राष्ट्रीय एकता की भावना के खिलाफ बताया था.
कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री खड़गे ने संवाददाताओं से कहा कि हम जो नियम लाना चाहते हैं, वे सार्वजनिक स्थानों, सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी परिसरों, सरकारी स्वामित्व वाले संस्थानों और सहायता प्राप्त संस्थानों से संबंधित हैं. हम गृह विभाग, कानून विभाग और शिक्षा विभाग द्वारा जारी पिछले आदेशों को एक साथ लाकर एक नया नियम बनाएंगे. अगले दो-तीन दिनों में, नया नियम कानून और संविधान के दायरे में लागू हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि हम किसी भी संगठन को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन अब से आप सार्वजनिक स्थानों या सड़कों पर अपनी मनमर्जी नहीं कर सकते. आपको जो भी करना है, सरकार की अनुमति लेने के बाद ही करना होगा. खड़गे ने कहा कि यह सरकार के विवेक पर निर्भर है कि वह ऐसी गतिविधियों को अनुमति दे या नहीं. अनुमति देने के लिए कुछ मानदण्ड निर्धारित होने का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि आप केवल अधिकारियों को सूचना देकर सड़क पर लाठी लहराते हुए नहीं चल सकते या पथ संचलन नहीं निकाल सकते. ये सभी बातें उन नियमों का हिस्सा होंगी जिन्हें हम लागू करने जा रहे हैं.