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India Daily

'दीवारें तक पेंट कीं फिर भी गया आधा डिपॉजिट', बेंगलुरु के किरायेदार की पोस्ट ने खोली मकान मालिकों की मनमानी की पोल

Bengaluru tenant loses half deposit: बेंगलुरु में एक किरायेदार की सोशल मीडिया पोस्ट ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी है. किरायेदार का दावा है कि उसने घर पूरी तरह साफ-सुथरा और मरम्मत कर लौटाया था, लेकिन मकान मालिक ने सिक्योरिटी मनी का आधा हिस्सा काट लिया.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

Bengaluru tenant loses half deposit: देश की आईटी राजधानी बेंगलुरु में एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या ने दोबारा लोगों का ध्यान खींचा है. एक किरायेदार ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उसने अपने किराए के घर को बखूबी साफ-सुथरा और रिपेयर करके खाली किया, लेकिन फिर भी उसे सिक्योरिटी मनी का आधा हिस्सा नहीं मिला.

इस पोस्ट के वायरल होने के बाद कई लोगों ने अपने साथ हुए ऐसे ही अनुभव साझा किए हैं, जिससे किरायेदारी प्रणाली की कमजोरियों पर एक नई बहस छिड़ गई है.

'घर चमकाया, फिर भी आधा डिपॉजिट गया'

पोस्ट करने वाले किरायेदार ने लिखा कि उन्होंने मकान खाली करने से पहले हर कोना साफ किया, दीवारों पर पेंट कराया और खराब बल्ब तक बदल दिए. उन्होंने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि मकान मालिक को कोई शिकायत न मिले. लेकिन मकान मालिक ने जवाब में एक छोटा-सा संदेश भेजा- 'कुछ मामूली नुकसान पाए गए हैं, इसलिए डिपॉजिट से रकम काट ली गई है.' जब किरायेदार ने पूछा कि आखिर नुकसान कहां हुआ, तो मालिक ने फोन और मैसेज का जवाब देना बंद कर दिया.

तीसरी बार हुई ऐसी ठगी

किरायेदार ने अपने पोस्ट में लिखा कि यह पहली बार नहीं है जब उनके साथ ऐसा हुआ. 'तीन अलग-अलग शहरों में, तीन अलग-अलग मकान मालिकों के साथ यही अंत- आधा डिपॉजिट गया, कोई रसीद नहीं, कोई वजह नहीं.' उन्होंने इस घटना को भारतीय किरायेदारी व्यवस्था की सबसे बड़ी खामी बताया कि किराएदारों के पास अपने अधिकार सुरक्षित करने का कोई ठोस तरीका नहीं है.

सोशल मीडिया पर गूंजा किरायेदारों का दर्द

इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर सैकड़ों प्रतिक्रियाएं बटोरीं. कई लोगों ने कहा कि मकान मालिक आमतौर पर 'वियर एंड टियर' और 'पेंटिंग सर्विस' के नाम पर जमा राशि काट लेते हैं. एक यूजर ने लिखा, 'मैंने अपने डिपॉजिट का पैसा सिर्फ इसलिए वापस पाया क्योंकि मेरे जानने वाले लोग मकान मालिक पर दबाव डाल पाए.' एक अन्य ने सलाह दी कि 'किरायेदारों को आखिरी दो महीनों का किराया न देकर जमा राशि से समायोजन करवाना चाहिए.'

किरायेदारी प्रणाली में जवाबदेही की कमी

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में किरायेदारी बाजार अब भी असंगठित है. मकान मालिक और किरायेदार के बीच भरोसे की कमी, लिखित समझौते की अस्पष्टता और ब्रोकरों की गैर-जिम्मेदारी इस समस्या को बढ़ाती है. पोस्ट में यह भी कहा गया कि एक बार जब किरायेदार चाबी सौंप देता है, तो 'हर कोई जवाब देना भूल जाता है.'

सुधार की जरूरत

कानूनी जानकारों का कहना है कि किरायेदारी अनुबंध में जमा राशि की वापसी से जुड़ी शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी जानी चाहिए. इसके अलावा, किरायेदारों को घर खाली करने से पहले उसकी तस्वीरें या वीडियो सबूत के रूप में सुरक्षित रखने चाहिए. इससे ऐसे विवादों में पारदर्शिता बढ़ेगी और भविष्य में मकान मालिकों की मनमानी पर लगाम लगेगी.

बेंगलुरु का यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की परेशानी नहीं, बल्कि उस असंगठित किरायेदारी व्यवस्था का प्रतीक है, जिसमें नियम कम और भरोसा और भी कम है. सोशल मीडिया पर उठी यह आवाज अब एक बड़े बदलाव की मांग बन चुकी है- जहां किरायेदारों को भी अपने हक की सुरक्षा मिले.