Bengaluru traffic: कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा बाइक टैक्सी सेवाओं पर बैन को बरकरार रखने के बाद, बेंगलुरु शहर में यातायात की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है. शहरवासियों का कहना है कि सड़कों पर भीड़भाड़ पहले की तुलना में चार से पांच गुना बढ़ गई है, जिससे दैनिक आवागमन एक कठिन चुनौती बन गया है.
नागरिकों का मानना है कि बाइक टैक्सी सेवाओं के बंद होने से निजी वाहनों और ऑटो-रिक्शा की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. पहले से ही तंग सड़कों, खराब फुटपाथों, सीमित सार्वजनिक परिवहन और मेट्रो की अपर्याप्त पहुंच ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह प्रतिबंध शहर की यातायात व्यवस्था के लिए घातक साबित हो रहा है.
एक यूजर ने लिखा, “आप बाइक टैक्सियों को रोकते हैं, बिना उचित सड़कों, खोदी हुई और संकरी गलियों, बिना यू-टर्न, कई क्षेत्रों में मेट्रो की पहुंच के, सीमित सार्वजनिक बसें और पैदल चलने के लिए कोई फुटपाथ नहीं। बेंगलुरु में यातायात लगभग 4/5 गुना बढ़ गया है, क्योंकि हर कोई अपनी कार निकालता है या ऑटो बुक करता है।”
बढ़ते खर्च और नागरिकों की परेशानी
बाइक टैक्सी के अभाव में लोगों को अब या तो निजी वाहन चलाने पड़ रहे हैं या ऑटो-रिक्शा पर निर्भर होना पड़ रहा है, जिससे उनके खर्च में भारी वृद्धि हुई है। एक अन्य यूजर ने शिकायत की, “मैं सिर्फ़ आने-जाने के लिए हर दिन ₹500 का भुगतान कर रहा हूँ। यह पागलपन है।” कई लोगों ने इस फैसले को “सबसे खराब निर्णय” करार देते हुए कहा कि इससे किफायती परिवहन पर निर्भर लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
प्रतिबंध का तर्क और सवाल
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि कर्नाटक के मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत बाइक टैक्सी सेवाएं अवैध हैं. इस फैसले ने रैपिडो, उबर मोटो और ओला बाइक जैसी सेवाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी. हालांकि, कई नागरिकों ने इस प्रतिबंध के पीछे के तर्क पर सवाल उठाए हैं. एक यूजर ने टिप्पणी की, “मुझे इस प्रतिबंध के पीछे कोई उचित कारण नहीं मिला।”