Jharkhand Terror Module: ऑनलाइन जाल से युवाओं को बना रहे थे आतंक का हथियार, क्या अगला निशाना झारखंड था? ATS ने खोली पूरी साजिश

Jharkhand Terror Module: झारखंड में हिज्ब उत तहरीर आतंकी संगठन स्लीपर सेल का नेटवर्क तैयार कर रहा था, जिसमें सोशल मीडिया और ऑनलाइन साधनों का उपयोग किया जा रहा था, पुलिस ने की कार्रवाई.

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Anvi Shukla

Jharkhand Terror Module: झारखंड एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) ने 26 अप्रैल को धनबाद जिले के विभिन्न इलाकों में छापेमारी कर प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर (HuT) से जुड़े चार संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था. इन संदिग्धों को पूछताछ के लिए चार दिन की रिमांड पर लिया गया, जिसके दौरान कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं.

एटीएस सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार संदिग्ध अयान जावेद, मोहम्मद शहजाद आलम, शबनम प्रवीण और फैयाज हुसैन सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए युवाओं को गुमराह कर संगठन से जोड़ने का काम कर रहे थे. पूछताछ में यह भी सामने आया है कि राष्ट्र विरोधी विचारधाराओं का प्रचार कर HuT के नेटवर्क को विस्तार देने की कोशिशें की जा रही थीं.

आतंकी हमले नहीं, विचारधारा के प्रचार पर था फोकस

पूछताछ में एटीएस को इस बात के कोई संकेत नहीं मिले कि फिलहाल किसी विशेष स्थान या व्यक्ति पर हमला करने की योजना थी. बल्कि इनका मकसद HuT की विचारधारा को फैलाना और अधिक से अधिक युवाओं को संगठन में शामिल करना था. इसके लिए वे धार्मिक और सामाजिक भावनाओं का उपयोग कर रहे थे.

दस्तावेज और हथियार की बरामदगी पर भी पूछताछ

26 अप्रैल की छापेमारी के दौरान एटीएस ने कुछ हथियार और दस्तावेज़ भी बरामद किए थे. पूछताछ में बताया गया कि हथियार भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इकट्ठा किए जा रहे थे. दस्तावेज़ों के बारे में खुलासा हुआ कि वे ऑनलाइन ऑर्डर करके मंगवाए गए थे. फिलहाल एटीएस इन बयानों की पुष्टि कर रही है.

अम्मार याशर की गिरफ्तारी से मिला बड़ा सुराग

चारों संदिग्धों की पूछताछ के आधार पर एटीएस ने एक और संदिग्ध आतंकी अम्मार याशर को गिरफ्तार किया, जो पहले इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा रहा है और आतंकी गतिविधियों के आरोप में 10 साल की सजा काट चुका है. जमानत पर रिहा होने के बाद वह हिज्ब उत तहरीर से जुड़ गया था.