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नक्सली क्षेत्रों में लैंड माइंस झारखंड पुलिस के लिए बना बड़ा खतरा, मेटल डिटेक्टर भी पकड़ने में नाकाम

Jharkhand News: डीजीपी ने साफ निर्देश दिए हैं कि जवान अब पारंपरिक सड़कों या रास्तों से पेट्रोलिंग नहीं करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि नक्सली इन्हीं रास्तों पर माइंस बिछाकर हमला करते हैं.

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Edited By: Princy Sharma
Jharkhand Police News
Courtesy: Pinterest

Jharkhand Police News: झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान एक बार फिर तेज हो गया है. लेकिन इस अभियान की सबसे बड़ी चुनौती है नक्सलियों द्वारा जमीन में बिछाए गए खतरनाक लैंड माइंस. कई बार तो मेटल डिटेक्टर भी इन माइंस को पकड़ने में नाकाम हो जाते हैं, जिससे पुलिस जवानों को जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता अब खुद नक्सल इलाकों में जाकर जवानों की हौसला अफजाई कर रहे हैं और नई रणनीति के तहत पेट्रोलिंग का तरीका बदल रहे हैं. सीनियर पुलिस अधिकारियों को भी इस अभियान में उतारा गया है ताकि हर कदम सावधानी और योजना के साथ उठाया जा सके.

नक्सलियों के दो बड़े हथियार

 डीजीपी के अनुसार, नक्सली दो प्रकार के लैंड माइंस का इस्तेमाल कर रहे हैं. पहला कमांड वायर लैंड माइंस,  जब जवान माइंस के ऊपर से गुजरते हैं, तो नक्सली तार के जरिए उन्हें मैनुअली ब्लास्ट करते हैं. दूसरा बुबी ट्रैप है. ये प्रेशर-सेंसिटिव माइंस होते हैं, जिन पर थोड़ा सा वजन पड़ते ही ब्लास्ट हो जाता है. अब तक चाईबासा इलाके में 50 से ज्यादा बुबी ट्रैप बरामद किए जा चुके हैं.

बुबी ट्रैप पर गिरे हुए पत्ते और मिट्टी इन्हें पूरी तरह से ढक देते हैं, जिससे मेटल डिटेक्टर भी इनका पता नहीं लगा पाते हैं और अगर माइंस में मेटल की मात्रा कम हो, तो डिटेक्टर भी धोखा खा सकता है.

डीजीपी ने दिए निर्देश

डीजीपी ने साफ निर्देश दिए हैं कि जवान अब पारंपरिक सड़कों या रास्तों से पेट्रोलिंग नहीं करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि नक्सली इन्हीं रास्तों पर माइंस बिछाकर हमला करते हैं. अब रूट बदल-बदल कर गश्त की जाएगी, ताकि नक्सलियों की हर चाल को नाकाम किया जा सके.

झारखंड होगा जल्द नक्सल मुक्त

डीजीपी अनुराग गुप्ता का दावा है कि नई रणनीति के चलते अब जवान लैंड माइंस की चपेट में नहीं आएंगे. इससे  जवानों के हौसले और बढ़ेंगे और अभियान में ज्यादा से ज्यादा सफलता मिलेगी. जल्द ही झारखंड को नक्सल मुक्त राज्य घोषित किया जा सकता है.