Rohtak News: हरियाणा की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है. शहर के सांपला इलाके में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को 'लापता' बताते हुए पोस्टर चस्पा किए गए हैं. ये पोस्टर स्थानीय लोगों के बीच भारी असंतोष को दर्शाते हैं, जहां बाढ़ और जलभराव से जूझ रही जनता ने नेताओं की अनदेखी पर कड़ा प्रहार किया है. सियासी गलियारों में यह मुद्दा तेजी से चर्चा का केंद्र बनता जा रहा है, खासकर तब जब हाल ही में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को झटका लगा हो.
सांपला नगर पालिका के पूर्व पार्षद शिव कुमार रंगीला ने मंगलवार रात को ये पोस्टर लगवाए. पोस्टरों में साफ लिखा है कि गढ़ी सांपला-किलोई हलके से विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक लोकसभा से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा 'लापता' हैं. रंगीला ने बताया कि सांपला कस्बे के वॉर्ड नंबर 1, 8 और 13 में भारी जलभराव हो गया है. लगभग 300 से 400 घर पानी में डूबे हुए हैं, सड़कें तालाब बन चुकी हैं और लोग बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं. 'लोगों को राहत की सख्त जरूरत है, लेकिन हुड्डा पिता-पुत्र कहीं नजर नहीं आ रहे. न जनता दरबार लग रहा है, न कोई मदद का ऐलान हो रहा है. ये नेता तो चुनाव के समय तो आ जाते हैं, लेकिन मुश्किल वक्त में गायब हो जाते हैं,' रंगीला ने नाराजगी जाहिर की.
सांसद दीपेंद्र हुड्डा और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लगे लापता होने के पोस्टर
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा 7 सितंबर को ही सांपला खंड के प्रभावित गांवों का दौरा कर चुके थे. उन्होंने जलभराव प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और स्थानीय किसानों व ग्रामीणों से बातचीत की. लेकिन रंगीला का आरोप है कि दौरा महज फोटो सेशन तक सीमित रहा. 'हुड्डा साहब आसपास के गांवों में पहुंचे, कुछ तस्वीरें खिंचवाईं और वापस चले गए. किसानों की फसलें तो पूरी तरह डूब चुकी हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. न मुआवजे का ऐलान, न राहत सामग्री का वितरण. आज लोगों को अपने विधायक और सांसद की सख्त जरूरत है, जो उनकी आवाज बनें.'
यह घटना हरियाणा की राजनीति में हुड्डा परिवार की लोकप्रियता पर सवाल खड़े कर रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा, जो 2005 से 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे, ने हमेशा जाट समुदाय और किसानों के मुद्दों पर मजबूत पकड़ बनाई. उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से चार बार लोकसभा सदस्य चुने जा चुके हैं और युवा चेहरे के रूप में पार्टी की उम्मीद थे. लेकिन हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद परिवार पर आलोचनाओं का दौर तेज हो गया. विपक्षी दल भाजपा ने इसे कांग्रेस की 'परिवारवाद' की राजनीति का नतीजा बताया है.