हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है. कांग्रेस द्वारा नायब सैनी सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव अब विधानसभा में चर्चा के लिए तैयार है. विधानसभा स्पीकर हरविंदर कल्याण ने नोटिस को स्वीकार कर इसे कार्यसूची में शामिल कर लिया है.
इसके साथ ही यह साफ हो गया है कि शुक्रवार को सदन में सरकार और विपक्ष आमने-सामने होंगे. इस घटनाक्रम को राज्य की राजनीति के लिए अहम मोड़ माना जा रहा है.
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने कांग्रेस की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है. स्पीकर के फैसले के बाद यह प्रस्ताव अब सदन की कार्यसूची में शामिल हो गया है. इसके तहत शुक्रवार को विधानसभा में इस पर चर्चा कराई जाएगी. इस निर्णय के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं.
कांग्रेस ने यह कदम सरकार की नीतियों और कामकाज से असहमति जताने के लिए उठाया है. पार्टी का आरोप है कि सैनी सरकार जनता से जुड़े मुद्दों पर विफल रही है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार ने रोजगार, किसानों और विकास से जुड़े वादों को पूरा नहीं किया. अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष ने इन सभी मुद्दों को विधानसभा में मजबूती से उठाने का संकेत दिया है.
प्रस्ताव स्वीकार होने के साथ ही विधानसभा में जोरदार बहस की संभावना जताई जा रही है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, जबकि सत्तापक्ष अपनी उपलब्धियों को गिनाकर जवाब देने की रणनीति बना रहा है. चर्चा के दौरान दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिल सकती है. सदन की कार्यवाही पर पूरे राज्य की नजरें टिकी रहेंगी.
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मतदान कराया जाएगा. इसके नतीजे से यह स्पष्ट हो जाएगा कि मौजूदा सरकार को विधानसभा का विश्वास हासिल है या नहीं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह प्रक्रिया सरकार की स्थिरता की परीक्षा होती है. हालांकि, मौजूदा संख्याबल को देखते हुए सैनी सरकार को लेकर सत्तापक्ष आश्वस्त नजर आ रहा है.
हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में 2024 के चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी. कांग्रेस को 37 सीटें मिली थीं, जबकि इंडियन नेशनल लोकदल ने दो और तीन सीटें निर्दलीयों के खाते में गई थीं. सत्तापक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव को राजनीतिक दांव बताया है और कहा है कि सरकार सदन में इसे पूरी मजबूती से मुकाबला करेगी.