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India Daily

हरियाणा के प्राइवेट अस्पतालों ने 'आयुष्मान योजना' के तहत इलाज किया बंद, कल IMA संग 650 हॉस्पिटल करेंगे विरोध प्रदर्शन

हरियाणा में प्राइवेट अस्पतालों और सरकारों के बीच आयुष्मान योजना को लेकर तनाव चल रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार मनमानी कटौती और भुगतान में देरी कर रही है. निजी अस्पतालों का आरोप है कि स्वास्थ्य एजेंसियां समय से भुगतान नहीं कर रही है जिससे हॉस्पिटल को अतिरिक्त भार का सामना करना पड़ रहा है. 

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Edited By: Garima Singh
Ayushman Bharat Yojana
Courtesy: X

Ayushman Bharat Yojana: केंद्र की मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना देश भर के तमाम गरीब परिवारों को फायदा पहुंचाने का काम कर रही है. इस योजना के तहत गरीब परिवारों को 5 लाख तक का स्वस्थ्य बिमा दिया जाता है. जहां देशभर में इस योजना की तारीफ़ हो रही हैं वहीं हरियाणा के अस्पतालोंमें लोग आयुष्मान योजना के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला?

दरअसल हरियाणा में प्राइवेट अस्पतालों और सरकारों के बीच इस योजना को लेकर तनाव चल रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार मनमानी कटौती और भुगतान में देरी कर रही है. निजी अस्पतालों का आरोप है कि स्वास्थ्य एजेंसियां समय से भुगतान नहीं कर रही है जिससे हॉस्पिटल को अतिरिक्त भार का सामना करना पड़ रहा है. 

हरियाणा में निजी अस्पतालों ने जलाए समझौता ज्ञापन 

हरियाणा के 650 प्राइवेट अस्पतालों और इंडियन मेडिकल असोसिएशन की राज्य इकाई मिलकर कल यानी सोमवार को इस मामले में इस योजना की कॉपी जलाकर इसका अपने विरोध दर्ज करेगी। 

क्या बोली IMA की चीफ?

इस पूरे मामले पर हिसार स्थित IMA की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने कहा कि, 'पिछले दो साल से सरकार की तरफ से भुगतान में देरी, मनमानी कटौती और बेमतलब के निरिक्षण का सामना निजी अस्पतालों को करना पड़ रहा है. इस वजह से प्राइवेट अस्पतालों ने बीते 7 अगस्त से 'आयुष्मान योजना' के तहत आने वाल्वे मरीजों का इलाज बंद कर दिया है.''

क्या है पूरा मामला?

हरियाणा के कई जिलों में निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज बंद करने का ऐलान किया है. इस फैसले का सीधा असर उन लाखों गरीब परिवारों पर पड़ रहा है, जो इस योजना पर निर्भर हैं. निजी अस्पतालों का आरोप है कि राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) द्वारा इलाज के बाद भुगतान में महीनों की देरी होती है. इसके अलावा, बिलों में मनमानी कटौती की जाती है, जिससे अस्पतालों की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है. हरियाणा में इस योजना के तहत लगभग 70-80 लाख लाभार्थी पंजीकृत हैं, जिनमें से करीब 90% मरीज निजी अस्पतालों में इलाज करवाते हैं. यह कदम गरीब मरीजों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है.