फरीदाबाद: दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट ने पूरे देश को हिला दिया. इस हादसे में 15 लोगों की जान चली गई. जांच में हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आया है. यूनिवर्सिटी से जुड़े कई डॉक्टरों पर आतंकी गतिविधियों के शक की तलवार लटक रही है. अब हरियाणा सरकार इस यूनिवर्सिटी के बंद होने का फैसला लेने की तैयारी में है.
अगर ऐसा होता है, तो सैकड़ों छात्रों का करियर खतरे में पड़ सकता है. ब्लास्ट की जांच में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली पुलिस ने बड़े खुलासे किए हैं. मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था, सुसाइड बॉम्बर था. उसने ही हुंडई i20 कार में विस्फोटक भरकर लाल किले के पास खुद को उड़ा लिया.
एनआईए के मुताबिक उमर नबी 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' का अहम हिस्सा था. वह युवाओं को ब्रेनवॉश कर सुसाइड बॉम्बर बनाने की साजिश रच रहा था. उसके 11 सहयोगियों को मोटिवेशनल वीडियो भेजे गए थे, जिनमें ज्यादातर कश्मीरी युवा थे. यूनिवर्सिटी से जुड़े अन्य डॉक्टर भी जांच के घेरे में हैं. डॉ. शाहीन सईद, डॉ. मुजम्मिल शकील गनाई और डॉ. निसार उल हसन जैसे नाम सामने आए हैं.
शाहीन ने हाल ही में पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया था, जबकि मुजम्मिल पर विस्फोटक जुटाने का आरोप है. निसार को 2023 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने देशविरोधी गतिविधियों के चलते बर्खास्त किया था. नूंह जिले से दो और डॉक्टर, मोहम्मद और मुस्तकीम को हिरासत में लिया गया. ये उमर नबी के करीबी बताए जाते हैं. कुल 200 से ज्यादा डॉक्टर रडार पर हैं. ब्लास्ट वाले दिन कई स्टाफ अचानक फरार हो गए.
यूनिवर्सिटी के 10 लोग अभी भी लापता हैं. इसके अलावा एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 25 ठिकानों पर छापे मारे. यूनिवर्सिटी के बैंक खातों में अनियमितताएं मिलीं. 2014-15 में 31 करोड़ की आय का हिसाब गड़बड़ पाया गया. दो नई एफआईआर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के लिए दर्ज हुईं. हरियाणा डीजीपी ओ.पी. सिंह ने खुद कैंपस का दौरा कर छानबीन की. हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत अल-फलाह राज्य सरकार के अधीन है. आज सरकार इस पर सख्त कदम उठा सकती है.
अगर यूनिवर्सिटी बंद होती है, तो मेडिकल कॉलेज के सैकड़ों छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने आश्वासन दिया है कि छात्रों की पढ़ाई, इंटर्नशिप और रजिस्ट्रेशन सुरक्षित रहेगा. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वैकल्पिक व्यवस्था करेंगी. छात्र संगठन चिंतित हैं.सरकार का फैसला सभी की नजरों में होगा.