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हरियाणा में दुकानों में काम करने के घंटे तय, जानें कर्मचारियों को कितने देर तक काम करा सकेंगे दुकानदार

सोमवार को विधानसभा ने 'हरियाणा दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान विधेयक 2025' पारित कर दिया. इस नए कानून से राज्य की दुकानों, शोरूम, मॉल और छोटे-बड़े कमर्शियल प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए रोजाना काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 10 कर दिए गए हैं.

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Edited By: Antima Pal
haryana assembly passed bill
Courtesy: x

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा ने सोमवार को 'हरियाणा दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान विधेयक 2025' पारित कर दिया. इस नए कानून से राज्य की दुकानों, शोरूम, मॉल और छोटे-बड़े कमर्शियल प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए रोजाना काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 10 कर दिए गए हैं. हालांकि सप्ताह में कुल काम के घंटे 48 ही रहेंगे. इस बदलाव से दुकान कर्मचारियों और प्राइवेट सेक्टर के लाखों वर्कर्स में हड़कंप मच गया है. कई लोग इसे परिवार और निजी जीवन पर असर डालने वाला बता रहे हैं.

हरियाणा में दुकान कर्मचारियों के लिए अब 10 घंटे काम

इस बिल में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. पहले जहां तिमाही में ओवरटाइम की अधिकतम सीमा 50 घंटे थी, अब इसे बढ़ाकर 156 घंटे कर दिया गया है. यानी पीक सीजन या त्योहारों में कर्मचारी ज्यादा ओवरटाइम कर सकेंगे. बिना रेस्ट के लगातार काम करने की सीमा भी 5 घंटे से बढ़ाकर 6 घंटे हो गई है. सबसे बड़ी राहत छोटे व्यापारियों को मिली है. अब 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी वाले प्रतिष्ठानों को ही पूरा रजिस्ट्रेशन कराना होगा. 

विधानसभा में पारित हुआ बिल

20 से कम कर्मचारी वाली दुकानों को सिर्फ एक सूचना (इंटिमेशन) देनी होगी, रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं. श्रम मंत्री अनिल विज ने सदन में बिल पेश करते हुए कहा कि ये बदलाव छोटे दुकानदारों और व्यापारियों के लिए बड़ा तोहफा हैं. अनावश्यक कागजी कार्रवाई कम होगी और व्यापार करने में आसानी बढ़ेगी. 

'कई राज्यों में पहले से ही 10 घंटे का प्रावधान'

उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे कई राज्यों में पहले से ही 10 घंटे का प्रावधान है. "यह बदलाव इमरजेंसी, स्टाफ की कमी या पीक डिमांड के समय कारोबार को सुचारू रखने में मदद करेगा. इससे नए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा." हालांकि विपक्ष ने इस बिल का कड़ा विरोध किया. कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला ने इसे "मजदूरों के साथ धोखा" और "आधुनिक गुलामी" करार दिया.

उन्होंने कहा कि रोज 10 घंटे काम और इतना ज्यादा ओवरटाइम से कर्मचारियों का पारिवारिक जीवन बर्बाद हो जाएगा. "राज्य में 5-6 लाख कमर्शियल प्रतिष्ठान हैं, जिनमें से 85% में 20 से कम कर्मचारी हैं. ये बदलाव उन्हें कानून की सुरक्षा से बाहर कर देंगे. यह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के नाम पर मजदूरों के हक छीनने वाला कदम है." सुरजेवाला ने पुराने 9 घंटे के प्रावधान को बनाए रखने का संशोधन प्रस्ताव भी पेश किया, लेकिन सदन ने इसे आवाज से खारिज कर दिया.