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India Daily

गुरुग्राम में दर्दनाक हादसा, 2.5 साल का मासूम खेलते-खेलते खुले नाले में जा गिरा, हुई मौत

गुरुग्राम के सेक्टर-66 में रविवार शाम दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जब ढाई साल का दिलराज खेलते समय खुले नाले में गिरकर डूब गया. मासूम का पिता कालू वहीं गुब्बारे बेच रहा था. हादसा करीब 4:30 बजे हुआ, जब दिलराज अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था.

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Edited By: Princy Sharma
Gurugram News
Courtesy: Pinterest

Gurugram News: गुरुग्राम के सेक्टर-66 स्थित कुशल चौक के पास रविवार शाम एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ , जिसमें महज ढाई साल का मासूम बच्चा खुले नाले में गिरकर डूब गया. यह घटना तब हुई जब बच्चा अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था और अचानक नाले में जा गिरा. मासूम की पहचान दिलराज के रूप में हुई है , जो राजस्थान के टोंक जिले का रहने वाला था.

हादसे के वक्त दिलराज का पिता कालू एकल नाम , जो गुब्बारे बेचने का काम करता है , वहीं चौराहे पर गुब्बारे बेचने में व्यस्त था. घटना रविवार शाम करीब 430 बजे की है. 

खेलते-खेलते खुले नाले में गिरा

पुलिस जांच में सामने आया कि जिस नाले में बच्चा गिरा , उसका ढक्कन आंशिक रूप से खुला हुआ था. पुलिस का मानना है कि बच्चा खेलते-खेलते उस खुले हिस्से तक पहुंच गया और उसमें गिर गया. गुरुग्राम पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी संदीप तुरान ने बताया कि नाला गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी GMDA के तहत आता है. प्राथमिक जांच में पता चला है कि संभवत बच्चे खेलते समय नाले का ढक्कन खोल बैठे थे और किसी की निगरानी न होने के कारण दिलराज उस खुले हिस्से में गिर गया. 

GMDA ने दी सफाई 

GMDA के एक अधिकारी ने कहा कि नाले को चारों ओर से तार से घेरा गया है और उसे ढक्कन से भी ढका गया था. उन्होंने कहा , 'जब तक कोई जानबूझकर तार पार करके ढक्कन नहीं हटाए , ऐसा हादसा नहीं हो सकता. घटना के बाद ढक्कन आंशिक रूप से हटा हुआ मिला' 

लापरवाही की कोई शिकायत नहीं

 पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि दिलराज के पिता ने किसी साजिश या लापरवाही की शिकायत नहीं की है. सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद दिलराज का शव परिजनों को सौंप दिया गया. इस दर्दनाक घटना ने क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है और एक बार फिर खुले नालों की लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं. 

क्या अब भी जागेगा सिस्टम?

इस हादसे ने नगर निगम और विकास प्राधिकरण की लापरवाही को उजागर कर दिया है. सवाल उठता है कि अगर नाला पूरी तरह सुरक्षित होता , तो क्या एक मासूम की जान जाती ? अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है या यह मामला भी बाकी हादसों की तरह फाइलों में दब जाएगा.