हरियाणा में थार और बुलेट वालों को 'अपराधी मानसिकता' वाला बताने वाले बयान ने अब पुलिस के ही अफसर को मुसीबत में डाल दिया है. गुरुग्राम के एक थार मालिक ने हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह को कानूनी नोटिस भेज दिया है. नोटिस में साफ लिखा है कि 'आपके बयान से मेरी और मेरे परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है. लोग ताने मार रहे हैं कि ‘तेरी थार है ना, तो जरूर गुंडा होगा’. तुरंत सार्वजनिक माफी मांगें, वरना मानहानि का केस करेंगे.
ये पूरा विवाद 8 नवंबर 2025 का है. गुरुग्राम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीजीपी ओपी सिंह सड़क सुरक्षा पर बोल रहे थे. तभी उन्होंने कहा- 'थार और बुलेट को हम इसलिए रोकते हैं क्योंकि ज्यादातर शरारती और लापरवाही करने वाले लोग इन्हीं दो गाड़ियों में बैठते हैं. थार चलाने वाला तो क्रेजी ही होता है.' उन्होंने एक हादसे का उदाहरण भी दिया जिसमें एक ACP के बेटे ने थार से एक्सीडेंट कर दिया था.
डीजीपी का बयान आते ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया. लोग लिखने लगे – 'तो क्या अब थार खरीदना ही गुनाह है?' पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी ट्वीट किया, 'थार हरियाणा की शान है, इसे अपराधियों से जोड़ना गलत है.' अब गुरुग्राम के रहने वाले युवा कारोबारी ने वकील के जरिए 15 दिन का लीगल नोटिस भेजा है.
नोटिस में लिखा है: डीजीपी का बयान सामान्यीकरण वाला और अपमानजनक है. थार एक लग्जरी SUV है, जिसे लाखों मेहनतकश लोग शौक और जरूरत से खरीदते हैं. बयान के बाद मोहल्ले, ऑफिस और रिश्तेदार तंज कस रहे हैं. 15 दिन में सार्वजनिक माफी नहीं मांगी तो 50 करोड़ का मानहानि का दावा किया जाएगा.
थार मालिक ने कहा- 'मैंने मेहनत की कमाई से गाड़ी ली है. ना स्टंट करता हूं, ना शोर मचाता हूं. फिर मुझे अपराधी क्यों कहा जा रहा है? अगर पुलिस को शक है तो हर गाड़ी रोको, सिर्फ थार को टारगेट क्यों?' दूसरी तरफ पुलिस का कह रही है कि डीजीपी ने सिर्फ ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की बात की थी, सभी थार मालिकों की नहीं. लेकिन अब मामला कोर्ट तक पहुंचने की राह पर है.