नई दिल्ली: रविवार 10 नवंबर, 2025 की शाम को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए एक भीषण कार विस्फोट ने पूरे शहर को दहला दिया. शाम 6:52 बजे हुए इस विस्फोट में 9 लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए. विस्फोट इतना भयंकर था कि जमीन हिल गई और आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई. शुरुआती जांच में पता चला है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार, विस्फोट से लगभग तीन घंटे पहले सोनहेरी मस्जिद के पास खड़ी थी.
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने अपनी जांच के दौरान कुछ अहम सुराग हासिल किए हैं, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि यह विस्फोट आतंकवादियों द्वारा किया गया एक आत्मघाती बम विस्फोट हो सकता है. विस्फोट का समय भी चिंताजनक है, क्योंकि विस्फोट से कुछ घंटे पहले ही, जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद पुलिस के एक संयुक्त अभियान में एक अंतर-राज्यीय आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार बरामद किए गए थे, जिनमें आईईडी बनाने के केमिकल भी शामिल थे.
जांच के सबसे चौंकाने वाले खुलासों में से एक दिल्ली विस्फोट के पीछे की आतंकवादी गतिविधियों से कई डॉक्टरों का संबंध है. अधिकारियों को आतंकवादी नेटवर्क और चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों के बीच एक कड़ी का पता चला है. प्रमुख खोजों का डिटेल इस प्रकार है
पहली गिरफ्तारी अनंतनाग में हुई. अनंतनाग मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर डॉ. आदिल अहमद राठर को गिरफ्तार किया गया. उनके लॉकर से पुलिस ने एक AK-47 राइफल बरामद की. डॉ. राठर के दो प्रमुख आतंकवादी संगठनों, जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से संबंध हैं.
7 नवंबर, 2025 को, हरियाणा के अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत शाहीन शाहिद नाम की एक महिला डॉक्टर को उसकी कार में एक असॉल्ट राइफल मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया था. पुलिस पूरे आतंकवादी नेटवर्क में उसकी भूमिका की जांच कर रही है, लेकिन उसकी पहचान और तस्वीर अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
उसी दिन, गुजरात ATS ने हैदराबाद के एक डॉक्टर डॉ. अहमद मोहिउद्दीन सैयद को गिरफ्तार किया, जिन्होंने चीन में पढ़ाई की थी. डॉ. मोहिउद्दीन अरंडी के बीजों से बनने वाला एक बेहद जहरीला जहर रिसिन तैयार कर रहे थे. कई महीनों तक दिल्ली की आजादपुर मंडी, अहमदाबाद की नरोदा फल मंडी और लखनऊ स्थित आरएसएस कार्यालय जैसी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर निगरानी भी रखी थी.
10 नवंबर, 2025 को फरीदाबाद में एक और अहम गिरफ्तारी हुई. अल-फलाह विश्वविद्यालय में कार्यरत एक कश्मीरी डॉक्टर डॉ. मुझमिल शकील को 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट के साथ पकड़ा गया, जो बम बनाने में इस्तेमाल होने वाला एक रसायन है. इसके बाद की गई छापेमारी में 2,500 किलोग्राम से ज्यादा विस्फोटक बरामद किए गए. डॉ. शकील जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़ा है और पहले श्रीनगर में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है.
आगे की जांच से पता चला कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार कश्मीर के पुलवामा निवासी डॉ. उमर मोहम्मद के नाम पर रजिस्टर थी. विस्फोट के समय डॉ. उमर कार में मौजूद थे, जिससे हमले में संदेह की एक और परत जुड़ गई.