कौन है हंजुल्ला जो रच रहा था दिल्ली ब्लास्ट की साजिश? मुजम्मिल को भेजे थे 'तबाही' के 42 वीडियो
दिल्ली ब्लास्ट केस में बड़ा खुलासा हुआ है. अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टरों को पाकिस्तान स्थित जैश के हैंडलर हंजुल्ला ने बम बनाने के 42 वीडियो भेजे थे. अब सुरक्षा एजेंसियां यह जानने में जुटी हैं कि हंजुल्ला असल में कौन है.
नई दिल्ली: दिल्ली ब्लास्ट मामले ने एक बार फिर देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. जांच में यह खुलासा हुआ है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टरों को उनके विदेशी हैंडलर ने बम बनाने के 42 वीडियो भेजे थे. ये वीडियो सीधे डॉ मुज़म्मिल को शेयर किए गए थे. यह भी पता चला है कि मुजम्मिल का संपर्क मौलवी इरफान वागी के जरिए इस हैंडलर से हुआ था.
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यही व्यक्ति कमांडर हंजुल्ला भाई के नाम से जैश ए मोहम्मद के पोस्टरों पर भी दिखा था. अब सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि आखिर यह हंजुल्ला है कौन.
कौन है हंजुल्ला और कैसे बढ़ा उसका नेटवर्क?
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान में बैठे जैश के इस हैंडलर ने कई बार डॉ मुजामिल से संपर्क किया. उसने बम बनाने के वीडियो भेजकर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को चेतावनी दी थी. 18 अक्टूबर को नौगाम में लगाए गए जैश के पोस्टरों पर कमांडर हंजुल्ला भाई का नाम छपा था, जिन पर सुरक्षा बलों को धमकी भी दी गई थी.
जांच में अब तक यह संभावना जताई जा रही है कि हंजुल्ला एक छद्म नाम है. उसकी असली पहचान अभी सामने नहीं आई है. वीडियो और चैट के जरिए वह लगातार मॉड्यूल को निर्देश भेजता था और कार ब्लास्ट जैसी वारदात को अंजाम देने के तरीके बताता था.
तुर्की में था दूसरा हैंडलर नाम उकासा
जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. दूसरा विदेशी हैंडलर उकासा नाम का व्यक्ति है, जो अंकारा में रहता था. डॉ मुज़म्मिल और डॉ उमर उन नबी दोनों ने अपनी तुर्की यात्रा के दौरान उससे मुलाकात की थी. एजेंसियों के मुताबिक वही दोनों को कट्टरपंथी कंटेंट और निर्देश देता था.
दिल्ली से लेकर फरीदाबाद तक कई एजेंसियां सफेदपोश आतंकी नेटवर्क की जांच कर रही हैं. इसी बीच फरीदाबाद पुलिस ने अल फलाह यूनिवर्सिटी की गतिविधियों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल यानी SIT बना दिया है. इस यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. SIT में दो सहायक पुलिस आयुक्त, एक इंस्पेक्टर और दो सब इंस्पेक्टर शामिल हैं. टीम यूनिवर्सिटी की गतिविधियों, फंडिंग और संदिग्ध संपर्कों की जांच कर रही है. एक विस्तृत रिपोर्ट जल्द तैयार की जाएगी.
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