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दिल्ली आतंकी हमला: लंबी दूरी के ड्रोन से 200 जगहों पर एक साथ तबाही मचाने की थी साजिश! जैश मॉड्यूल को लेकर बड़ा खुलासा

दिल्ली ब्लास्ट के बाद जैश-ए-मोहम्मद के सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल में बड़ा खुलासा हुआ है. मॉड्यूल को पाकिस्तान से लंबी दूरी वाले ड्रोन मिलने वाले थे, जिनका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर धमाकों की साजिश में होना था.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

नई दिल्ली: दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच गहराती जा रही है और अब जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है. जांच एजेंसियों ने पाया है कि मॉड्यूल लंबी दूरी वाले हाई-लोड कैपेसिटी ड्रोन हासिल करने वाला था, जिनका इस्तेमाल रेडीमेड विस्फोटकों के साथ बड़े हमलों में किया जाना था.

इस मॉड्यूल में शामिल डॉक्टरों और अन्य गिरफ्तार आरोपियों को यह ड्रोन पाकिस्तानी हैंडलर भेजने वाला था. योजना बेहद खतरनाक थी और इसका लक्ष्य उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर तबाही मचाना था.

लंबी दूरी वाले ड्रोन से तबाही की साजिश

जांच से पता चला है कि गिरफ्तार आरोपियों को पाकिस्तान की ओर से ऐसे उन्नत ड्रोन दिए जाने वाले थे, जो 10 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकें और कई किलोमीटर दूर तक उड़ान भर सकें. आरोपी इन्हें भारत में असेंबल करते और फिर रेडीमेड विस्फोटक लगाकर बड़े शहरों में हमले करते. इन्हीं ड्रोन के जरिए भीषण धमाकों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया जाना था.

फरीदाबाद से मिला बड़ा सुराग

जांच का सबसे बड़ा सुराग 10 नवंबर को मिला, जब हरियाणा के फरीदाबाद में एक किराए के घर से 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ. उसी शाम लाल किले के पास कार धमाका हुआ, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई. एजेंसियों का मानना है कि अगर फरीदाबाद में मिली बड़ी खेप पहले पकड़ में न आती, तो मॉड्यूल जल्द ही अपने ड्रोन प्लान को सक्रिय कर चुका होता.

ड्रोन की खेप भेजने का ‘वैध रास्ता’

रिपोर्ट के अनुसार, ड्रोन के पुर्जों को भारत भेजने के लिए एक बेहद चालाक योजना बनाई गई थी. आरोपी एक भारतीय निर्यात कंपनी के ऑर्डर का उपयोग करके एक इंपोर्ट कंपनी के जरिए ड्रोन पार्ट्स मंगवाने वाले थे. इससे शिपमेंट पूरी तरह वैध दिखती और किसी को संदेह नहीं होता. यह दिखाता है कि मॉड्यूल को तकनीकी और लॉजिस्टिक स्तर पर उच्च स्तरीय सहायता मिल रही थी.

एक साथ 200 बम विस्फोट की तैयारी

सबसे चौंकाने वाली बात यह कि यह मॉड्यूल एक-दो नहीं, बल्कि एक साथ 200 बम धमाके करने की योजना बना रहा था. लक्ष्य दिल्ली और उत्तर भारत के बड़े शहरों में भारी तबाही मचाना था. इस पूरी योजना के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की सीधी भूमिका बताई जा रही है, जिसने मॉड्यूल को ट्रेनिंग और निर्देश देने के लिए जैश-ए-मोहम्मद के एक खास ऑपरेटिव को नियुक्त किया था.

ISI की सीधी भूमिका का बड़ा संकेत

जांचकर्ताओं का कहना है कि मॉड्यूल की कार्यशैली, तकनीकी क्षमता, और उच्च स्तरीय संसाधनों तक पहुंच से साफ है कि ISI इस नेटवर्क को न सिर्फ मार्गदर्शन दे रही थी, बल्कि इसे एक बड़े ‘स्टैंडबाय आतंकी प्रोजेक्ट’ की तरह संचालित कर रही थी. गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है और एजेंसियां मॉड्यूल के अन्य संभावित सदस्यों और पाकिस्तानी हैंडलरों की पहचान में लगी हुई हैं.