menu-icon
India Daily

हरिद्वार से दिल्ली तक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कांवड़ यात्रा, युवाओं ने शहीदों को अनोखे अंदाज़ में दी श्रद्धांजलि

हरिद्वार से दिल्ली तक निकली 'ऑपरेशन सिंदूर' नामक कांवड़ यात्रा सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि देशभक्ति और शहादत को समर्पित एक अनूठा प्रयास बन गई है. 6 युवाओं के इस कांवड़ समूह ने पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए गंगाजल के साथ सेना के प्रतीक चिन्हों से सजी कांवड़ लेकर यात्रा की शुरुआत की है.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
operation sindoor
Courtesy: WEB

सावन के महीने में उत्तर भारत कांवड़ यात्रा के भक्तिभाव में डूबा हुआ है, लेकिन दिल्ली से आए 6 युवाओं का यह समूह "ऑपरेशन सिंदूर" नाम की कांवड़ यात्रा को एक नया आयाम देता नजर आ रहा है. इस यात्रा के माध्यम से उन्होंने न केवल धार्मिक कर्तव्य निभाया है, बल्कि देश के जवानों की शहादत को भी नमन किया है. सेना, वायुसेना और बीएसएफ के प्रतीकों से सजी इनकी कांवड़ लोगों में देशभक्ति की भावना जगा रही है.

"ऑपरेशन सिंदूर" नामक इस कांवड़ यात्रा में शामिल युवाओं ने अपनी कांवड़ को खास तौर पर सेना को समर्पित किया है. इस कांवड़ पर एक ओर वायुसेना और दूसरी ओर बीएसएफ के जवानों की झांकी बनाई गई है. जवानों की वर्दी में सजे मॉडल के साथ लहराता हुआ तिरंगा साफ संकेत देता है कि यह यात्रा सिर्फ गंगाजल लाने भर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है. युवाओं का कहना है कि यह कांवड़ शहीदों को समर्पित है और उनके बलिदान को याद करने का एक जरिया है.

कांवड़ियों का भावनात्मक जुड़ाव

कांवड़ यात्रा में शामिल अनुभव ने बताया कि वह पिछले 14 वर्षों से कांवड़ लाते आ रहे हैं, लेकिन इस बार का अनुभव सबसे अलग है. उन्होंने कहा, "इस बार मैंने इसे सेना के भाइयों के लिए समर्पित करने का निश्चय किया है. हमारी सेना हमारे लिए दिन-रात बॉर्डर पर तैनात रहती है, तो हमें भी उनके लिए कुछ करना चाहिए." वहीं अजय नाम के कांवड़िए ने बताया कि वे इस यात्रा को पहलगाम हमले में मारे गए लोगों की याद में कर रहे हैं. उनका मानना है कि समाज को सेना के बलिदान को समझना और सम्मान देना चाहिए.

धार्मिकता और राष्ट्रभक्ति का संगम

यह यात्रा हरिद्वार से दिल्ली तक केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि राष्ट्रभक्ति की एक मिसाल बन चुकी है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए इन युवाओं ने यह साबित किया है कि श्रद्धा और समर्पण सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे रक्षकों के प्रति सम्मान और संवेदना का भी जरिया हो सकता है. रास्ते भर इनकी कांवड़ चर्चा का विषय बनी रही, और लोग इनके जज्बे को सलाम करते नजर आए. इस यात्रा ने समाज में यह संदेश दिया कि देशभक्ति सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से भी दिखाई जा सकती है.