नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने योग गुरु रामदेव की कंपनी पंतजलि आयुर्वेद से पूछा कि वह अन्य सभी च्यवनप्राश ब्रांड्स को 'धोखा' कैसे कह सकती है. डाबर इंडिया ने अदालत में पंतजलि के विज्ञापन पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी.
न्यायमूर्ति तेजस करिया ने स्पष्ट किया कि पंतजलि अपनी श्रेष्ठता का दावा कर सकती है, लेकिन यह कहना कि अन्य सभी ब्रांड धोखाधड़ी कर रहे हैं, गलत और अपमानजनक है. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या 'धोखा' के अलावा कोई शब्द नहीं है?
अदालत ने कहा कि 'धोखा' एक नकारात्मक और अपमानजनक शब्द है. पंतजलि यह संदेश दे रही है कि अन्य कंपनियां धोखाधड़ी कर रही हैं और लोग धोखाधड़ी वाला उत्पाद खा रहे हैं. न्यायाधीश ने पंतजलि से पूछा कि क्या अन्य शब्द का उपयोग करना संभव नहीं था. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि किसी ब्रांड की श्रेष्ठता बताई जा सकती है, लेकिन यह सीधे तौर पर प्रतिद्वंद्वी ब्रांड्स की साख पर सवाल नहीं उठाना चाहिए.
डाबर इंडिया ने पंतजलि पर आरोप लगाया कि वह अपने च्यवनप्राश में '51 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और केसर' होने का झूठा दावा कर रही है. डाबर ने 2014 के सरकारी परामर्श का हवाला दिया, जिसमें इस दावे को भ्रामक बताया गया था. यह मामला दर्शाता है कि पंतजलि अपने विज्ञापन में उपभोक्ताओं को गुमराह कर रही है और यह न्यायालय ने गंभीरता से लिया.
डाबर ने यह भी कहा कि क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा के साथ 'स्पेशल' उपसर्ग का प्रयोग नियम 157(1-B) के खिलाफ है. यह नियम आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशनों में भ्रामक लेबलिंग को रोकता है. अदालत इस पहलू पर भी गंभीरता से विचार कर रही है, ताकि बाजार में ग्राहकों को धोखा न दिया जाए.
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पंतजलि अपने उत्पाद को श्रेष्ठ बता सकती है, लेकिन अन्य ब्रांड्स को अपमानित करने वाले शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकती. अदालत ने इस मामले में त्वरित सुनवाई का संकेत देते हुए पंतजलि और डाबर के तर्क सुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अदालत ने कहा कि विज्ञापन में भाषा का चयन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे उपभोक्ताओं की धारणा को प्रभावित करता है.
यह मामला यह दर्शाता है कि बाजार में प्रतिस्पर्धा के नाम पर कानूनी सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया जा सकता. पंतजलि को सावधानी बरतनी होगी कि वह केवल अपने उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ावा दे, न कि प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाए. अदालत की टिप्पणी उद्योग जगत के लिए एक चेतावनी भी है कि विज्ञापनों में भ्रामक और अपमानजनक भाषा का उपयोग गंभीर परिणाम ला सकता है.