Delhi Public Works Department: दिल्ली सरकार ने एक बड़े प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के तहत स्वतंत्र इंजीनियरिंग कैडर स्थापित करने की योजना बनाई है. इस पहल से दिल्ली को अपना समर्पित तकनीकी कार्यबल मिलेगा, जो शहर के बुनियादी ढांचे के विकास को नई गति प्रदान करेगा.
वर्तमान में दिल्ली पीडब्ल्यूडी, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) से प्रतिनियुक्त इंजीनियरों पर निर्भर है. इस व्यवस्था में स्थानांतरण, परियोजना विलंब और कुप्रबंधन जैसी समस्याएं सामने आती हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “अब, भले ही मंत्री या सरकार किसी इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई करना चाहें, वे ऐसा नहीं कर सकते... उन्हें एलजी और सीपीडब्ल्यूडी से मंजूरी लेनी होगी... इसके अलावा, इंजीनियरों को तीन साल में दिल्ली से बाहर स्थानांतरित किया जाता है, जिससे परियोजनाओं में देरी और लागत में वृद्धि होती है.” नया कैडर इन समस्याओं का समाधान करेगा, क्योंकि स्थानांतरण केवल दिल्ली के भीतर होंगे.
कैबिनेट की मंजूरी
अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया गया है और इसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. मंजूरी मिलने के बाद, पीडब्ल्यूडी भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा, जिससे जूनियर इंजीनियर से लेकर मुख्य अभियंता तक सभी स्तरों पर दिल्ली सरकार के नियंत्रण में अधिकारी नियुक्त होंगे. विभाग ने बयान में कहा, “यह परिवर्तन दिल्ली पीडब्ल्यूडी को दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद और दिल्ली विकास प्राधिकरण जैसे आधुनिक निकायों के समकक्ष लाएगा, जिनके पास पहले से ही समर्पित इंजीनियरिंग सेवाएं हैं.”
दिल्ली के लिए एक नया अध्याय
लोक निर्माण मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने इस कदम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “यह सिर्फ़ दिल्ली लोक निर्माण विभाग के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे शहर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है. जब इंजीनियर सिर्फ़ दिल्ली की जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं, तो उनका प्रदर्शन और प्रतिबद्धता अपने आप बढ़ जाती है. हम एक मज़बूत, साफ़-सुथरी और तेज़ दिल्ली का निर्माण कर रहे हैं, और इसके लिए हमें अपनी टीम की ज़रूरत है.”
दीर्घकालिक परियोजनाओं में सुधार
नए कैडर के गठन से इंजीनियरों को दिल्ली की जरूरतों के अनुरूप विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. वे दीर्घकालिक परियोजनाओं से शुरू से अंत तक जुड़े रहेंगे, जिससे परियोजनाओं में देरी और लागत वृद्धि की समस्या कम होगी. मौजूदा सीपीडब्ल्यूडी इंजीनियरों को नए कैडर में शामिल होने या अपने मूल कैडर में लौटने का विकल्प मिलेगा.