सोमवार शाम दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके की जांच में नया मोड़ सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक, धमाके से ठीक पहले आरोपी डॉ. उमर नबी पुरानी दिल्ली की फैज इलाही मस्जिद गया था, जो तबलीगी जमात के नियंत्रण में है.
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी डॉ. उमर अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद में असिस्टेंट प्रोफेसर था. पुलिस को शक है कि धमाके के पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद का हाथ है.
सूत्रों के अनुसार, 2:30 बजे उमर नबी फैज इलाही मस्जिद पहुंचा और करीब 10 से 15 मिनट वहां रुके. इसके बाद वह सुनेहरी मस्जिद के पास स्थित रेड फोर्ट पार्किंग की ओर निकल गया. सीसीटीवी फुटेज में उसे मस्जिद में जाते और निकलते देखा गया है. उसी शाम गेट नंबर 1 के पास उसकी कार धमाके से उड़ गई, जिससे कई वाहन जलकर राख हो गए.
फैज इलाही मस्जिद रामलीला मैदान के कोने पर, तुर्कमान गेट के सामने स्थित है. यह मस्जिद तबलीगी जमात के नियंत्रण में चलती है, जो निजामुद्दीन मरकज से अलग होकर कार्य कर रही है. जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि उमर नबी का मस्जिद से कोई संपर्क पहले से था या नहीं, और क्या उसने वहां किसी से मुलाकात की थी.
सोमवार शाम करीब 6 बजे एक धीमी रफ्तार से चल रही Hyundai i20 में अचानक धमाका हुआ. धमाके में 12 लोगों की मौत और 20 से ज्यादा घायल हुए. विस्फोट की तीव्रता इतनी थी कि आसपास खड़ी गाड़ियां जलकर खाक हो गईं. चश्मदीदों के मुताबिक, धमाके के बाद सड़क पर अफरातफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि मृतकों के कान, फेफड़े और आंतों में गंभीर चोटें थीं. कई लोगों की मौत ज्यादा खून बहने और टकराव से हुई. सूत्रों के मुताबिक, डॉ. उमर ने धमाका उस वक्त किया जब उसके साथी फरीदाबाद में गिरफ्तार हो चुके थे. माना जा रहा है कि उसने घबराहट में विस्फोट किया. जांच टीमें अब उसके दोनों साथियों की भूमिका खंगाल रही हैं.