CJI पर जूता फेंकने के लिए राकेश किशोर से किसने कहा? तीन घंटे की पूछताछ के बाद बताया सच
Attack on Supreme Court CJI: किशोर ने कहा कि वह जेल जाने के लिए तैयार है और किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं. उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु की बगैर सिर वाली मूर्ति के केस में सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणियों से उन्हें गहरा आघात लगा.
Attack on Supreme Court CJI: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंकने की घटना ने देशभर में तहलका मचा दिया. इस मामले में 72 वर्षीय वकील राकेश किशोर पर सभी की निगाहें टिक गईं. दिल्ली पुलिस ने मयूर विहार निवासी किशोर से सुप्रीम कोर्ट परिसर में तीन घंटे तक पूछताछ की, जिसके बाद उसे औपचारिक शिकायत न होने पर छोड़ दिया गया.
किशोर ने पुलिस और खबर एजेंसी एएनआई से बातचीत में दावा किया कि उसने यह कदम किसी दैवीय शक्ति के मार्गदर्शन में उठाया. हालांकि, उसके परिवार और साथी वकील इस घटना से बेहद नाराज हैं और किशोर ने माफी मांगने से भी साफ इंकार कर दिया.
राजनीतिक दल से जुड़े नहीं
किशोर ने कहा कि वह जेल जाने के लिए तैयार है और किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं. उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु की बगैर सिर वाली मूर्ति के केस में सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणियों से उन्हें गहरा आघात लगा. उन्होंने कहा, 'फैसले के बाद मैं सो नहीं पाया. भगवान मुझसे पूछ रहे थे कि ऐसे अपमान के बाद नींद कैसे आ सकती है.' सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के सह सचिव मीनेश दुबे ने कहा कि किशोर साल 2011 से एसोसिएशन के अस्थाई सदस्य हैं और बमुश्किल ही किसी केस में पेश हुए. घटना के बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.
'भगवान का मार्गदर्शन'
राकेश किशोर ने माफी देने से इनकार किया और कहा कि वह सही था. किशोर का दावा भगवान का मार्गदर्शन मिलने के कारण ही उन्होंने जूता फेंका. SCBA ने बताया कि किशोर ने कभी स्थाई सदस्य बनने के लिए जरूरी शर्तें पूरी नहीं की. घटना के दौरान प्रधान न्यायाधीश शांत और अविचलित रहे, उन्होंने निर्देश दिया कि दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ा जाए.
परिवार और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
किशोर के परिवार ने मीडिया से टिप्पणी करने से इनकार किया, जबकि साथी वकील और SCBA ने उनके व्यवहार की निंदा की. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए वकील को निलंबित कर दिया. प्रधान न्यायाधीश ने कोर्ट कक्ष में मौजूद सभी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे विचलित न हों और न्यायपालिका की कार्यशैली को प्रभावित न होने दें.