दिल्ली दंगों की कथित बड़ी साजिश से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा समेत अन्य अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई दोबारा शुरू की. इस दौरान दिल्ली पुलिस ने अपने दावों को मजबूत करने के लिए अदालत में CCTV फुटेज पेश किया और कहा कि हिंसा किसी सामान्य विरोध का नतीजा नहीं, बल्कि कई स्थानों पर एकसाथ अशांति फैलाने की सुनियोजित कोशिश थी. पुलिस ने अदालत में हिंसा की गंभीरता और उसके व्यापक असर का विवरण रखा.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सूर्यप्रकाश वी. राजू ने अदालत में कहा कि साजिश का उद्देश्य केवल चक्का जाम नहीं था, बल्कि देश के पूर्वोत्तर हिस्से को अस्थिर करना था. पुलिस का दावा है कि कुछ बयान बताते हैं कि असम को देश से अलग-थलग करने की योजना बनाई गई थी. राजू ने इसे एक “बड़ी राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का प्रयास” बताया.
ASG ने कहा कि दंगों में एसिड, पेट्रोल बम, ईंट-पत्थर और डंडों का इस्तेमाल हुआ. कई जगह पुलिसकर्मियों पर भी हमले किए गए. पुलिस ने अदालत को बताया कि कुछ इलाकों में सीसीटीवी कैमरों को पहले से कवर किया गया था, ताकि उपद्रव और हमलों की फुटेज रिकॉर्ड न हो सके. एक पुलिसकर्मी की मौत की बात भी रिकॉर्ड पर रखी गई.
चांदबाग क्षेत्र की सीसीटीवी क्लिपिंग अदालत में चलाई गईं. पुलिस के अनुसार, कैमरे होने की स्थिति में बड़ी हिंसा अंजाम देना मुश्किल होता, इसलिए उन्हें नष्ट किया गया. राजू ने कहा कि साजिश कई स्थानों पर एकसाथ हिंसा भड़काने की थी, ताकि प्रशासनिक ढांचा चरमरा जाए.
पुलिस ने आरोप लगाया कि यह पूरा नेटवर्क शांतिपूर्ण चक्का जाम के रूप में छिपाया गया था. उनका कहना है कि योजनाओं में देशभर के कई इलाकों को निशाना बनाना शामिल था, जिनमें “चिकन नेक” यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर से जुड़े क्षेत्र भी शामिल थे, जिन्हें भौगोलिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता है.
ASG ने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि मुर्शिदाबाद, हावड़ा, मालदा, नदिया और उत्तर 24 परगना में विरोध प्रदर्शन दंगों में बदल गए थे. पांच ट्रेनों में आगजनी, चार स्टेशनों पर तोड़फोड़ और 70 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ. 300 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए और रेलवे ने 17 एफआईआर दर्ज कीं.