RTE fraud: छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून को लेकर बड़ा मामला सामने आया है. भिलाई के सामाजिक कार्यकर्ता भगवंत राव द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए. कोर्ट ने साफ कहा कि गरीब बच्चों का हक छीनकर अमीर परिवारों के बच्चों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए दाखिला दिलाया गया है, जो पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है. इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने शिक्षा सचिव की अनुपस्थिति को हल्के में न लेते हुए सख्त चेतावनी दी. अदालत ने कहा'हाईकोर्ट को मजाक में न लें.'
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली तारीख पर सचिव स्वयं उपस्थित होकर शपथपत्र देंगे और बताएंगे कि अब तक गड़बड़ी करने वालों पर क्या कार्रवाई की गई है. हाईकोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि जब योजना के तहत गरीब बच्चों को लाभ मिलना चाहिए, तो आखिर उनकी अनदेखी क्यों हो रही है और नियमों का पालन क्यों नहीं हो रहा. इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी.
याचिका में दावा किया गया है कि आरटीई की सीटों पर गरीब बच्चों को अधिकार ही नहीं मिल पा रहा. शिकायतों के बावजूद शिक्षा विभाग कार्रवाई करने में असफल रहा है. जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक अधिकारियों की बेरुखी से यह मामला और गंभीर हो गया है. निजी स्कूलों पर आरोप है कि वे आरटीई सीटों को लेकर लापरवाह हैं और नियमों का पालन नहीं करते.
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि गली-गली में बिना मान्यता के नर्सरी और केजी स्तर के निजी स्कूल खोले जा रहे हैं. इन स्कूलों की मान्यता और संचालन पर सवाल उठाए गए हैं. कोर्ट ने साफ संकेत दिए हैं कि इस मुद्दे पर अब सख्ती होगी. अगली सुनवाई में शिक्षा सचिव को खुद कोर्ट में पेश होना होगा और सभी सवालों का जवाब देना होगा.